रायपुर.इस बजट से संविलियन सहित अपनी 9 सूत्रीय मांगें पूरी होने की उम्मीद लगाये शिक्षाकर्मियों को एक बार फिर निराशा हाथ लगने वाली है.मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी की पहली बैठक के नतीजों से तो यही निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि इस बजट में शिक्षाकर्मियों को कुछ नहीं मिलने वाला है.आज मुख्य सचिव अजय सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने निर्णय लिया है कि शिक्षाकर्मियों के सभी संगठनों से उनकी मांगों के बारे में औचित्यपूर्ण अभिलेखों सहित 15 दिनों के भीतर पत्र आमंत्रित किया जाए.उनसे प्राप्त पत्रों पर समिति की आगामी बैठक में विचार कर उचित निराकरण किया जाएगा.

इस निर्णय से साफ है कि आगामी 15 दिन के बाद ही शिक्षाकर्मियों की मांगों और उनके निराकरण के संबंध में सरकार कोई फैसला लेगी।  शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेशाध्यक्ष संजय शर्मा ने हाल ही में एक बयान जारी कर उम्मीद जाहिर की थी कि 10 फरवरी को पेश होने जा रहे बजट में उनकी मांगों पर सरकार कोई फैसला ले सकती है.

आज मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी की बैठक के निर्णय पर निराशा जाहिर करते हुए संजय शर्मा ने कहा कि हमने कई बार अपनी मांगों के संबंध में सभी महत्वपूर्ण पत्र और संबंधित दस्तावेज शासन को सौंपे हैं,जिस पर अब तक सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है.जबकि मध्यप्रदेश सरकार ने केवल शिक्षाकर्मियों से बातचीत के बाद ही संविलियन का त्वरित निर्णय ले लिया.संजय शर्मा ने कहा कि आज हमें छत्तीसगढ़ बनने का अफसोस हो रहा है.हमें लगता है कि हम अविभाजित मध्यप्रदेश में होते तो आज हमारा भी संविलियन हो चुका होता. उन्होनें कहा कि शासन के निर्णय के बाद वे एक बार फिर अपनी मांगों के संदर्भ में पत्र और जो भी दस्तावेज मांगे गये हैं,वह फिर से शासन को भेजेंगे और उम्मीद करेंगे कि देर से ही सही,संविलियन सहित उनकी सभी 9 मांगों को सरकार पूरा कर दे.