रायपुर. देश की आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर महात्मा गांधी की ग्राम-स्वराज की संकल्पना को अक्षुण्ण रखने के लिए छत्तीसगढ़ के नवा-रायपुर में भी वर्धा की तर्ज पर सेवा-ग्राम की स्थापना की जा रही है. देश की आजादी की लड़ाई के मूल्यों, सिद्धांतों, आदर्शों को भी सेवा ग्राम में रेखांकित किया जाएगा. सांसद राहुल गांधी 03 फरवरी को साइंस कॉलेज रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में इस सेवा ग्राम की आधारशिला रखेंगे.
महात्मा गांधी के सपनों के अनुरूप नवा रायपुर में बनने वाले सेवा ग्राम में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने एवं आत्मनिर्भर-ग्राम की कल्पना को साकार करने के लिए सभी प्रकार के कारीगरों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी. यह परियोजना गांधी-दर्शन को याद रखने और सीखने की प्रेरणा देगी. साथ ही स्वतंत्रता आंदोलन की यादों और राष्ट्रीय इतिहास को भी इसके माध्यम से जीवंत रखा जा सकेगा.
नवा-रायपुर में बनने वाले सेवा ग्राम के लिए 75 एकड़ की जमीन चिन्हांकित की गई है. इसे ग्रामीण परिवेश के रूप में विकसित किया जाएगा. सेवा ग्राम में छत्तीसगढ़ की परंपरागत ग्रामीण भवन शैली की झलक दिखेगी. निर्माण कार्यों में स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री का उपयोग होगा. यहां की सड़के भी ग्रामीण परिवेश के अनुरूप होंगी. सेवा ग्राम तक पूरा क्षेत्र हरियाली से भरपूर रहेगा. आश्रम का पूरा वातावरण आत्मिक शांति प्रदान करेगा.
सेवा-ग्राम के निर्माण में मिट्टी, चूना, पत्थर जैसी प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग करते हुए किया जाएगा. सेवाग्राम में गांधीवादी सिद्धांतों, ग्रामीण कला और शिल्प के केंद्र विकसित किए जाएंगे, जहां अतिथि विषय-विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन दिया जाएगा. यहां छत्तीसगढ़ की लोक कलाओं को प्रोत्साहन साथ ही वहां वृद्धाश्रम तथा वंचितों के लिए स्कूल भी स्थापित किए जाएंगे. बुजुर्गों को दूसरा घर देकर और वैचारिक आदान-प्रदान की सुविधा होगी. साथ ही विजिटर्स सेंटर और गांधी के सिद्धांतों को स्मरण करने का केंद्र होगा.
सेवा ग्राम में छत्तीसगढ़ की विशिष्ट कला और शिल्प कला भी दिखेगी. यहां के विभिन्न कार्यों बस्तर, रायगढ़ और अन्य जिलों में बेल मेटल, लौह, टेराकोटा, पत्थर, कपड़े और बांस का उपयोग करके विभिन्न कलात्मक वस्तुओं से सजाया जाएगा. वास्तव में सेवाग्राम एक ऐसा स्थान होगा जहां आगंतुक स्थानीय कला और शिल्प, स्थानीय व्यंजनों को बारे में जान सकेंगे. अपनी जानकारियों और अनुभवों को साझा कर सकेंगे. सेवा ग्राम में एक ओपन थियेटर भी होगा, जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. इससे पर्यटन के अवसरों को बढ़ावा मिलेगा.
गौरतलब है कि इस परियोजना के पीछे महाराष्ट्र के वर्धा में स्थित सेवाग्राम है, जिसकी स्थापना वर्ष 1936 में महात्मा गांधी और उनकी सहधर्मिणी कस्तूरबा के निवास के रूप की गई थी, ताकि वहां से वे मध्य भारत में स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व कर सकें. वर्धा का यह संस्थान महात्मा गांधी के सपनों के अनुरूप ग्रामीण भारत के पुननिर्माण का केंद्र भी था. गांधीजी का मानना था कि भारत की स्थितियों में स्थायी रूप से सुधार के लिए ग्राम-सुधार ही एकमात्र विकल्प है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप छत्तीसगढ़ में गांधीवासी सिद्धांतों और नियमों को लोगों तक पहुंचाने के लिए वर्धा की तर्ज पर नवा रायपुर में गांधी सेवा ग्राम को बनाने की संकल्पना की गई है. उनका मानना है कि नयी पीढ़ी को गांधीवादी विचारधारा से जोड़कर युवाओं की ऊर्जा का सकारात्मक दिशा में उपयोग किया जा सकता है. यह केन्द्र देश भर के युवाओं को गांधी दर्शन से परिचित कराने का माध्यम बनेगा. यहां युवाओं को सामूहिक गतिविधि और कार्यों को विशेष रूप से जोड़ा जाएगा, जिससे युवा समाज और देश निर्माण में भागीदारी के साथ-साथ स्वच्छता, ग्राम सभा और रोजगारपरक शिक्षा में भागीदारी निभा सके.
बघेल का यह भी मानना है कि गांधी जी के ग्राम स्वराज की संकल्पना को वर्तमान में किस प्रकार आर्थिक आजादी से जोड़े, इस पर कार्य करना आवश्यक है. इसके लिए युवाओं को रोजगार मूलक गतिविधियों से संबद्ध करना होगा. उन्होंने इसके लिए छत्तीसगढ़ में शुरू किए गए राजीव गांधी युवा मितान क्लब के सदस्यों को गांधी सेवा ग्राम से जोड़ने की रणनीति बनाई है. इसी रणनीति के तहत देशभर के युवाओं को गांधी सेवा ग्राम का भ्रमण कराया जाएगा.