नई दिल्ली। रेलवे की भर्ती परीक्षा प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं को लेकर पिछले दिनों देशभर में छात्रों का जो आक्रोश देखने को मिला इसको लेकर आम आदमी पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने बुधवार को राज्यसभा के शून्यकाल में मुद्दा उठाया। नेताओं की ओर से छात्रों पर दर्ज एफआईआर को वापस लेने की मांग की गई है।
आप सांसद सजंय सिंह ने कहा कि एक हजार छात्रों के खिलाफ जो मुकदमे दर्ज किए गए हैं उन्हें वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि छात्रों के साथ दुश्मनों की तरह व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले तो जब भर्ती निकली गई उसके बहुत समय के बाद ये परीक्षा आयोजित की गई और जब परीक्षा के परिणाम आये तो उस सूची में कई छात्रों के रोल नंबर एक से अधिक पदों के लिए शामिल किये गए हैं। उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा गड़बड़ी तो कुछ भी नहीं हो सकती।
उन्होंने पटना और प्रयागराज में छात्रों पर हुई पुलिस कार्रवाई का उल्लेख करते हुए कहा, छात्रों के साथ दुश्मनों की तरह व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। छात्रों की समस्याओं को सुनना चाहिए, पुलिस कार्रवाई और मुकदमों से काम नहीं चलेगा।
वहीं राज्यसभा के शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए एनसीपी नेता फौजिया खान ने कहा कि हाल ही में रेलवे की भर्ती परीक्षा ने बेरोजगारी की गंभीर समस्या और असफल शिक्षा व्यवस्था को उजागर किया है, खासकर बिहार ओर उत्तर प्रदेश में ये बेहद चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर बिहार में बेरोजगारी की समस्या पर ध्यान दिया जाना चाहिए। छात्रों और आंदोलनकारियों ने प्रदर्शन किया। बेरोजगारी के मुद्दे पर जल्द से जल्द ध्यान दिए जाने की जरूरत है। साथ ही छात्रों ने भर्ती परीक्षा में अनियमितता के जो आरोप लगाए हैं, उनकी समीक्षा होनी चाहिए और खामियों को दुरुस्त किया जाना चाहिए।
वहीं इस मुद्दे पर भाजपा सांसद के सुशील कुमार मोदी ने सुझाव दिया कि ग्रुप डी में भर्ती दो चरणों के बजाय एक ही चरण में होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एनटीपीसी की परीक्षा के 3.5 लाख अतिरिक्त परिणाम भी घोषित किए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा, मेरा आग्रह है ग्रुप डी की एक ही परीक्षा होनी चाहिए। दो परीक्षाओं की कोई आवश्यकता नहीं है। यह आईएएस या आईपीएस की परीक्षा नहीं है।
गौरतलब है कि रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा गैर-तकनीकी लोकप्रिय श्रेणियों (एनटीपीसी) की नौकरियों के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षा प्रक्रिया में कथित अनियमितता के विरोध में कई छात्र संगठनों ने जमकर प्रदर्शन किया। बिहार में कई छात्र संगठनों ने बंद का भी आह्वान किया। हालांकि इस पूरे मामले को सुलझाने के लिए रेल मंत्रालय ने एक समिति गठित की है जो परीक्षा में पास हुए और फेल किए गए छात्रों की बातों को सुनेगी और इसकी रिपोर्ट तीन सप्ताह में रेल मंत्रालय को सौंपेगी। उसके बाद रेल मंत्रालय आगे का निर्णय लेगा। छात्रों के विरोध के मद्देनजर फिलहाल रेलवे की परीक्षा पर रेल मंत्रालय ने रोक लगा दी है।