नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस पूर्व महिला न्यायिक अधिकारी को बहाल करने का आदेश दिया, जिन्होंने मध्यप्रदेश में एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए 2014 में पद छोड़ दिया था। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने कहा कि महिला न्यायिक अधिकारी के इस्तीफे को स्वैच्छिक नहीं माना जा सकता। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि वह पिछले मानदेय की हकदार नहीं होंगी, लेकिन वह सेवा में बनी रह सकती हैं। बेंच की ओर से फैसला सुनाने वाले न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि अधिकारी के इस्तीफे को स्वीकार करने के फैसले को रद्द कर दिया गया है।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय को न्यायिक अधिकारी को बहाल करने पर विचार करने का सुझाव दिया था। हालांकि, उच्च न्यायालय ने निर्णय लिया कि उसके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। महिला न्यायिक अधिकारी ने बहाली के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि शत्रुतापूर्ण स्थानांतरण आदेश पारित किए गए क्योंकि उसने उच्च न्यायालय के पर्यवेक्षण न्यायाधीश की मांगों के अनुसार कार्य नहीं किया। अपनी शिकायत में, उन्हें एक निचली श्रेणी के शहर और एक माओवादी प्रभावित क्षेत्र में भेजा गया, जिसने उच्च न्यायालय की स्थानांतरण नीति का उल्लंघन किया।
उन्होंने कहा कि स्थानांतरण ने उन्हें अपनी बेटी के साथ रहने से भी रोक दिया, जो उस समय बोर्ड परीक्षा दे रही थी, इसलिए उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।