प्रतीक चौहान. रायपुर. राजधानी से लगे काठाडीह क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध प्लॉटिंग का काम चंद दिनों पहले ही शुरु किया गया है. लेकिन इस अवैध प्लॉटिंग की प्लानिंग लंबे समय से चल रही है. यहां शासकीय जमीन में मुरुम डालकर 60 फीट की रोड बना दी गई और अवैध प्लॉटिंग करने वाले ये दावा कर रहे है कि इसके लिए उन्हें पंच-सरपंच से एनओसी भी मिल गई है.

 सबसे हैरानी की बात ये है कि यहां प्लॉटिंग शुरू हो गई है, लेकिन इसकी जानकारी न तो पटवारी को है और न तहसीलदार को. काठाडीह क्षेत्र की तहसीलदार का कहना है कि अवैध प्लॉटिंग की जानकारी सीधे एसडीएम के पास जाती है और जब तक एसडीएम को निर्देश न दे वे जांच और कार्रवाई नहीं कर सकती है. वहीं इस हल्के के पटवारी से प्लॉटिंग के संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे फिल्ड में है और इस संबंध में बाद में बात करेंगे.

 ऐसा नहीं है कि ये अवैध प्लॉटिंग कही आउटर में हो रही है. ये अवैध प्लॉटिंग पत्रकारिता विश्वविद्यालय  के ठीक पीछे करीब 12 एकड़ में हो रही है. इसे हम अवैध इसलिए कह रहे है क्योंकि ये प्लॉटिंग रेरा से अप्रूव नहीं है और प्लाट बेचने वाले खुद इसे कच्ची प्लॉटिंग बता रहे है और लोन अप्रूव न होने की बात भी खुद कह रहे है. यानी सीधा मतलब है कि यदि आप यहां प्लाट बुक कराते है तो लोन नहीं मिलेगा, यानी ये प्लाट शासकीय नियमों के विपरित है.

कैसे किया शासकीय भूमि में कब्जा ?

अवैध प्लॉटिंग की पड़ताल जब लल्लूराम डॉट कॉम ने शुरू की तो पता चला कि ये करीब 12 एकड़ का प्लाट कई अलग-अलग नामों से शासकीय अभिलेख में दर्ज है. स्पॉट में जब हम पहुंचे तो वहां प्लॉटिंग का काम तेजी से शुरू था और मुरुम के ट्रक और जेसीबी से खुदाई का काम शुरू था. वहां मौजूद दलाल ने बताया कि प्लॉट की फ्रंट इंट्री से 60 फीट की रोड है और थोड़ी दूर बाद वह रोड 30 फीट में तब्दील हो जाती है.

थोड़ा और बातचीत करने के बाद पता चला कि जो रोड 60 फीट की है वह शासकीय भूमि पर बनी हुई है. यानी धीरे-धीरे वहां मुरुम डालकर कब्जा किया गया और अब यहां प्लॉटिंग शुरू हुई है. यानी तहसीलदार और पटवारी इस अवैध प्लॉटिंग की ईमानदारी से जांच करे तो स्पष्ट हो जाएगा वहां कितनी शासकीय भूमि पर कब्जा कर रोड बनाकर ये अवैध प्लॉटिंग की जा रही है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि यदि आप यहां प्लाट लेने जाएंगे तो आपको पता नहीं चलेगा कि ये प्लाट किसका है और प्लॉटिंग कौन कर रहा है.

 किसका है ये 12 एकड़ का प्लॉट ?

लल्लूराम डॉट कॉम की पड़ताल में पता चला कि जहां ये अवैध प्लॉटिंग चल रही है वहां जमीन के कई मालिक है. लल्लूराम डॉट कॉम की पड़ताल में पता चला कि ये जमीन आशीष जैन, नीता अग्रवाल, वेदांत अग्रवाल, विकास पारख, नीलिमा पारख, कु. श्रीजा अग्रवाल, जया जैन समेत अन्य की है. सूत्र बताते है कि यहां अलग-अलग दलालों के माध्यम से अवैध प्लॉटिंग का खेल चल रहा है और इसमें मुख्य रूप से योगेश वर्मा शामिल है और ग्राहकों को यही जानकारी दी जा रही है कि वर्मा जी ही पूरे 12 एकड़ प्लॉट के मालिक है.

बता दें कि यहां 550 रुपए फीट के हिसाब से जगह बेची जा रही है, हालांकि दलाल बैठक में कुछ कम होने का दावा करते है. वहीं रजिस्ट्री के बाद दस्तावेजों की प्रक्रिया पूरी करने के एवज में पटवारी को 6 हजार रुपए प्रति प्लॉट देने की बात भी कही. बता दें कि यहां 300 से अधिक प्लॉट की कटिंग की जा रही है.