रणधीर परमार,छतरपुर। लोगों की इच्छाओं और मनोकामनाओं का कोई ठिकाना नहीं होता है. जब यह दोनों उनको किसी स्थान से प्राप्त होने लगे तो उनका उस स्थान के प्रति श्रद्धा और विश्वास बड़ जाता है. हम बात कर रहे हैं एमपी के छतरपुर जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर दूर स्थित बरट गांव की, जहां पर सर्कया बब्बा के नाम से प्रसिद्ध स्थान की.
यहां की विशेषता सुन आप दंग रह जाएंगे. यहां पर आकर कोई प्रसाद नहीं चढ़ाता, पैसे नहीं चढ़ाता, बल्कि यहां पर आकर वह अपनी बीमारी, परेशानी और इच्छा का सिर्फ सच्चे मन से जिक्र करता है. सर्कया बब्बा को मन ही मन बताता है. उसके पूर्ण हो जाने के बाद अपनी श्रद्धा अनुसार बब्बा के बगल में लगे पेड़ पर सोने की, चांदी की, लोहे की, जंजीर चढ़ाता है.
बरट में ये आस्था की जंजीरों से लदा पेड़ है. जिसमें लाखों की तादात में जंजीरों को लोग लगा चुके है. यह स्थान लगभग 100 सालों से लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. गांव में रहने वाले लोग बताते है किं यहां मुबंई, दिल्ली, राजस्थान जैसे महानगरों से लोग अपनी मनोकामना लेकर आते है और सर्कया बब्बा को अपनी परेशानी बताते है. उसके बाद जब उस परेशानी से वो मुक्त हो जाते है, तो वह बाद में जंजीर (सांकर) चढ़ाने आते है. इस पेड़ में इतनी सांकर लगने के बाबजूद यह पेड़ कभी नहींं सूखा है, हर वर्ष विशाल रूप लेता जाता है और सांकर अपने अंदर समाता जाता है.
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