शशिकांत डिक्सेना, कटघोरा (कोरबा)। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के सुप्रीमो रहे हीरा सिंह मरकाम की मूर्ति तोड़े जाने के विरोध में 28 फरवरी को गुरसियां में हुई सभा के दौरान घरों में हुई तोड़फोड़ और आगजनी के लिए पीड़ितों ने पुलिस प्रशासन को दोषी ठहराया है. पीड़ितों का आरोप है कि इस तरह की घटना के आशंका के बावूजद पुलिस बल की व्यवस्था पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई थी.

घटना से पीड़ित गुरसियां के व्यापारी राजेश जायसवाल व जनपद सदस्य भोला गोस्वामी ने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुए बताया कि जब जिला प्रशासन ने जिले में किसी प्रकार की रैली व सभा पर प्रतिबंध लगाया गया है तो आखिर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा इतनी बड़ी सभा क्यों रखी गई. गोंगपा की सभा में लगभग 5 से 7 हज़ार लोगों की भीड़ रही थी, और उन्हीं में से कुछ उपद्रवियों ने आगजनी और तोड़फोड़ की घटना को अंजाम दिया.

इसे भी पढ़ें : हीरासिंह मरकाम की मूर्ति तोड़े जाने पर भड़का गुस्सा, समर्थकों ने गाड़ियों-दुकानों में लगाई आग 

पीड़ितों ने आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन द्वारा मूर्ति तोड़े जाने पर दो आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद जारी प्रेस विज्ञप्ति में छेड़छाड़ कर अन्य पांच लोगों के नाम जोड़कर सोशल मीडिया में गलत भ्रांतियां फैलाई गई. गोंगपा के लोगों ने उसी प्रेस विज्ञप्ति को आधार मानकर पांच लोगों को निशाना बनाया. पुलिस द्वारा एक दिन पूर्व हम लोगों को सूचित किया गया कि आप लोग सभा के दिन सामने न आएं और कहीं बाहर चल दें.

इसे भी पढ़ें : ‘झीरम’ पर हाईकोर्ट के फैसले के बाद अजय चंद्राकर ने मांगा सीएम बघेल और मंत्री लखमा से इस्तीफा, जानिए वजह… 

पुलिस द्वारा घटना के एक दिन पूर्व इस तरह की सूचना देना कहीं न कहीं इससे साफ जाहिर होता है कि पुलिस प्रशासन को घटना का अंदेशा पूर्व में ही हो गया था. जब पुलिस को घटना का अंदेशा था तो सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं बढ़ाई गई. दो घरों में तोड़फोड़ और आगजनी की घटना होने के बाद बाकी घरों में सुरक्षा व्यवस्था न बढाना कहीं न कहीं पुलिस प्रशासन की सबसे बड़ी चूक साबित हो रही है.