प्रतीक चौहान. रायपुर. यहां एक सरकारी नौकरी के लिए न जाने कितने पापड़ बेलने पड़ते है. लेकिन आज हम आपको रायपुर की बेटी और भाटापारा की बहू के बारे में बताते है. जिसे 1-2 नहीं 4-4 सरकारी नौकरियां लगी. जिसके बाद उन्होंने नगर निगम में नौकरी करना ऊचित समझ.
बात बहुत पुरानी है. नगर निगम में बतौर शिक्षक इस बेटी के पिता की नौकरी लगी. लेकिन किसी कारण से वे यहां ज्वाईनिंग नहीं कर पाएं. यही कारण था कि उक्त पिता की इच्छा थी कि उनके बेटे या बेटी किसी की नगर निगम में नौकरी लगे.
सालेम स्कूल में 12 वीं तक की पढ़ाई करने के बाद अपने बड़े भाई को इंजीनियरिंग करते देख इस बेटी के मन में भी ये बात आई कि उसे भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करनी चाहिए. लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उनके सामने ये चैलेंज था कि यदि अच्छे नंबरों से वे इंट्रेंस एग्जाम में पास हुई और उन्हें शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन मिला तब तो ठीक है, नहीं तो प्राइवेट कॉलेज की फीस परिवार के लिए एफोर्टेबल नहीं होगी.
बेटी ने दिन रात पढ़ाई की और रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में उनका एडमिशन भी हो गया. हम बात कर रहे है नगर निगम में JE के पद पर कार्यरत अंकिता अग्रवाल की.
ऐसे मिली 4-4 सरकारी नौकरियां
अंकिता बताती हैं कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही वे गेस्ट लेक्चरर बन गई. यहां पढ़ाने के दौरान ही पुलिस हाउंसिग में जूनियर इंजीनियर के पद के लिए उनका सलेक्शन हुआ. यहां करीब 1 साल की नौकरी के दौरान उन्होंने जूनियर इंजीनियर हाउसिंग बोर्ड, सीएसईबी और नगर निगम में निकले पदों की परीक्षा दी. कुछ-कुछ समय के अंतराल में तीनों परीक्षा के नतीजे आएं. जिसमें वे तीनों में पास हो गई. लेकिन चूंकि पापा की इच्छा नगर निगम में उनके काम कराने की थी, इसलिए उन्होंने नगर निगम में नौकरी के विकल्प को चुना.