चंडीगढ़। सियाचिन ग्लेशियर पोस्ट पर कब्जा करने के लिए सर्वोच्च युद्धकालीन वीरता पदक परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय सेना के एक पूर्व अधिकारी कैप्टन (सेवानिवृत्त) बाना सिंह ने कहा कि राष्ट्र सर्वोच्च है. उन्होंने कहा, “हम अस्तित्व में हैं, क्योंकि हमारे राष्ट्र का अस्तित्व है और हमारे राष्ट्र के लिए कर्तव्य निभाने से कोई चीज बड़ी नहीं है.” उन्होंने स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (पीजीआईएमईआर) के नए शैक्षणिक सत्र के उद्घाटन समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित किया. उन्होंने बेहद जोशीले स्वर में नवनियुक्त डॉक्टरों को प्रेरित करते हुए कहा, “हम सभी को कोई न कोई कर्तव्य सौंपा गया है. एक सैनिक होने के नाते, मैंने बस अपना कर्तव्य निभाया जैसा कि अनिवार्य था. डॉक्टर होने के नाते आपका कर्तव्य रोगियों की सेवा करना है, इसलिए बस अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा, अटूट प्रतिबद्धता के साथ बिना किसी ‘अगर’ और ‘लेकिन’ के निभाएं और दिमाग में केवल बड़ी तस्वीर को ध्यान में रखें.”
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कैप्टन (सेवानिवृत्त) बाना सिंह ने कहा कि हमें अपने संस्थान द्वारा हम पर दिखाए गए विश्वास को सच साबित करना होगा. अच्छे काम को निश्चित रूप से स्वीकार किया जाएगा. यह बताते हुए कि कैसे उनकी टीम ने पाकिस्तानी सेना से ऑपरेशन राजीव के हिस्से के रूप में कश्मीर में सियाचिन ग्लेशियर पर सबसे ऊंची चोटी पर नियंत्रण हासिल किया, सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित पूर्व सैन्य अधिकारी ने कहा कि हम अकेले सफल नहीं होते हैं. यह टीम, तालमेल, समन्वय है, जो हमें असाधारण उपलब्धि हासिल करने में सक्षम बनाता है. उनकी इस सफलता के बाद भारत ने उनके सम्मान में चोटी का नाम बदलकर ‘बाना पोस्ट’ कर दिया था.
बाना सिंह ने नए रेजिडेंट डॉक्टरों को जीवन के मूल्यवान पहलुओं को समझाया. उन्होंने निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि जो कुछ भी आप करना चाहते हैं, उसे धैर्य और साहस के साथ करें, सफलता अवश्य ही मिलेगी. इससे पूर्व पीजीआईएमईआर के निदेशक प्रोफेसर सुरजीत सिंह ने मुख्य अतिथि का परिचय देते हुए वीरों के पराक्रम और वीरता के बारे में बताया. उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे बाना सिंह ने सबसे विपरीत परिस्थितियों में सबसे विशिष्ट वीरता और नेतृत्व का प्रदर्शन करके 21,000 फीट की ऊंचाई पर सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व किया था. निदेशक ने भविष्य के डॉक्टरों से कैप्टन (सेवानिवृत्त) बाना सिंह के असाधारण साहस, कर्तव्य के प्रति निस्वार्थ समर्पण और देश के सम्मान और अखंडता को बनाए रखने के उदाहरण का अनुकरण करने का आग्रह किया.
इसके बाद डॉ (मेजर) गुरु प्रसाद द्वारा एक आकर्षक प्रस्तुति दी गई, जिन्हें सियाचिन में छह महीने तक सेवा करने का गौरव प्राप्त है. उन्होंने सभी को सियाचिन ग्लेशियर में मौजूद प्रतिकूल परिस्थितियों से परिचित कराते हुए कहा कि दुनिया के इतिहास में सबसे ऊंचा और सबसे ठंडा कॉम्बैट थियेटर, जहां तापमान शून्य से 52 डिग्री सेल्सियस के नीचे चला जाता है, यह परिदृश्य एक क्षमाशील युद्ध का मैदान है, जहां भारत की सेनाएं और पाकिस्तान ने सालों से एक-दूसरे का सामना किया है.