रायपुर. बिजली की भारी भरकम बिल से छत्तीसगढ़ की जनता परेशान है. 100 करोड़ के अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम का बिल पटाने में सरकार तक असमर्थ है. बेहद शर्मनाक और दुखद स्थिति है राज्य सरकार के लिये. राज्य सरकार ने खेलों को प्रोत्साहन देने की बड़ी-बड़ी बाते की. छत्तीसगढ़ में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट मैच मैच तो अब नहीं हो रहा है. लेकिन जो स्टेडियम बना है अब उसकी बिजली काटे जाने की तैयारी की जा रही है. यह आरोप प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संचार विभाग के सदस्य किरणमयी नायक ने राज्य सरकार पर लगाया है.

किरणमयी नायक का कहना है कि राज्य सरकार के सरप्लस पावर स्टेट की पोल खोलने का इससे बड़ा अन्य कोई उदाहरण नहीं हो सकता है कि छत्तीसगढ़ के लिये अंतर्राष्ट्रीय दर्जे का क्रिकेट स्टेडियम का बिल सवा 3 करोड़ आया है. साल 2009 के बाद से स्वयं छत्तीसगढ़ सरकार इस बिल को नहीं पटा पा रही है. इसलिये अब स्थायी रूप से इसका बिजली कनेक्शन काटने की तैयारी हो गयी है. स्वमेव यह तथ्य ही स्पष्ट करता है कि इतना बिल देने में छत्तीसगढ़ सरकार भी स्वयं को असमर्थ पा रही है. तो आम जनता बिजली के भारी भरकम बिल से कितना परेशान है.

किरणमयी ने बताया कि आम जनता के बीच कांग्रेस नेताओं से सरगुजा प्रवास के दौरान और ग्रामीण क्षेत्रों के दौरों में लगातार गांव वालो ने बताया है कि पहले कांग्रेस सरकार के समय 40-50 रूपये बिजली का बिल आता था जो आज 350-400 रूपये एक गरीब घर में गरीब परिवार में बिजली का बिल आता है. बिजली के दरे इतनी बढ़ा दी गयी है. विभिन्न माध्यम से इनडायरेक्ट बहुत सी चीजे बिजली के बिल से जुड़ी जाती है. जिससे बिल ज्यादा आ रहा है. जिससे निम्न और निम्न मध्यम वर्ग के लोगों को बिजली के बिल पटाने में बहुत कठिनाई हो रही है.

पूरे छत्तीसगढ़ में जनता बिजली की बढ़ती दरों से दिन प्रतिदिन परेशान है. फिर भी छत्तीसगढ़ सरकार अपने मुंह मियां मिठ्ठू बनती है, कि सरप्लस पावर स्टेट में बिजली बिल कम है. तो फिर क्या कारण है कि छत्तीसगढ़ सरकार के दो जिम्मेदार विभाग मिलकर भी नौ साल से क्रिकेट स्टेडियम का बिल नहीं पटा पा रहे है. इससे स्पष्ट है कि रमन सरकार की बिजली नीति निर्धारण और धरातल में क्रियान्वयन में बहुत बड़ा अंतर है.