रायपुर-सरकारी महकमे में वर्षा डोंगरे एक जाना-पहचाना नाम है या यूं कहें कि विद्रोही नाम है,वर्षा डोंगरे सरकार की कई नीतियों की बेबाक आलोचना करती रही हैं,चाहे वह नक्सलवाद को लेकर हो या जेल में महिला कैदियों के साथ किये जा रहे बर्ताव को लेकर हो.सरकार की तीखी आलोचना के बाद वर्षा को 2017 में रायपुर डिप्टी जेलर के पद से निलंबित कर दिया गया है.
और अब एक बार फिर वर्षा डोंगरे और शासन के बीच टकराव सामने आया है,वर्षा डोंगरे को 18 फरवरी 2018 को होने वाली छत्तीसगढ राज्य सेवा परीक्षा देने से रोक दिया गया है, जेल प्रशासन को परीक्षा में बैठने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र पत्र देने से इंकार कर दिया है. विधि अधिकारी ने 1976 के नियमों का हवाला देते हुए आवेदन निरस्त कर दिया. गया है,वर्षा ने 2003 की छत्तीसगढ राज्य सेवा परीक्षा में हुए भ्रष्टाचार को लेकर भी जनहित याचिका लगाई थी,और ये लड़ाई अब भी जारी है.
वर्षा डोंगरे का कहना है कि ये पहली बार नहीं है जब विभाग ने उनके आवेदन को निरस्त किया हो,इस बार जिस नियम का हवाला देते हुए परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गइ है,उस नियम की कॉपी भी उपलब्ध नहीं कराइ गइ है.
सवाल ये उठता है कि जेल प्रशासन जब कैदियों को मुख्यधारा में लाने के लिए ,कैदियों को शिक्षा से लेकर रोजगार तक में नए अवसर दे रहा है तो अपने ही विभाग के कर्मचारियों के लिए इतने सख्त नियम क्यों,वो भी तब ,जब जांच चल ही रही हो और दोष भी सिद्ध नहीं हुआ हो.