विनोद दुबे। केशकाल, छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ में एक ऐसी जगह है जो सभी धर्मावलंबियों के लिए न सिर्फ एकता की बेहतरीन मिसाल है बल्कि सभी को इंसानियत का पाठ पढ़ा रही है. जहां हिन्दू देवी-देवताओं के बीच एक मुस्लिम शख्स खान बाबा की पूजा होती है. इस बाबा को प्रसाद के रुप में अंडे चढ़ाए जाते हैं.
केशकाल में है खान भगवान
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 170 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राज्यमार्ग 43 में केशकाल घाटी स्थित है. बस्तर संभाग के अंतर्गत आने वाला केशकाल अपने घुमावदार सर्पिले मोड़ की वजह से जाना जाता है और ठंडियों में यह घाटी फूलों से लद जाती है जो यहां से गुजरने वाले लोगों का मन मोह लेती है. केशकाल बाजार से 12 किलोमीटर अंदर भंगाराम नाम की एक जगह है.
ये वही जगह है जहां एक देवी के मंदिर के अलावा छोटे-छोटे लगभग आधा दर्जन मंदिर हैं यहां कई देवी देवताओं को स्थापित किया गया है. इनके बीच में एक पत्थर है जो सिंदूर और गुलाल से रंगा हुआ है. यही वो पत्थर है जो आदिवासियों के डॉ खान देव हैं. आदिवासी खानदेव को पूजते हैं उन्हें अंडे का भोग चढ़ाया जाता है.
कौन हैं खानदेव, क्यों की जाती है पूजा ?
डॉ खान देव आदिवासियों के लिए देवता हैं. भगवान हैं. लेकिन खान देव कौन हैं और कहां से आए हैं. बताया जाता है कि तकरीबन 100 साल से भी पहले महाराष्ट्र से एक डॉक्टर आए थे, जिन्हें डॉ खान कहा जाता था. यहां आने के बाद वो यहीं बस गए और आदिवासियों के बीच रहकर उनका इलाज करने लग गए.
डॉक्टर ने महामारी से बचाई थी जान ?
स्थानीय निवासियों के मुताबिक एक बार इस क्षेत्र में महामारी फैल गई थी उस वक्त डॉ खान ने उन आदिवासियों का इलाज कर उनकी जान बचाई थी. उनके निधन के बाद उन्हें देवतुल्य माना गया और इस धारणा से आदिवासी उन्हें खान देव कहने लगे और बाद में इस जगह पर उन्होंने एक पत्थर रख दिया. इस पत्थर पर सिंदूर, गुलाल चढ़ा कर वे इसकी पूजा करने लगे. आदिवासियों की मान्यता है कि खानदेव की पूजा करने से वो बीमारियों से उनकी रक्षा करेंगे.
प्रसाद में चढ़ाए जाते हैं अंडे
इनका प्रसाद अंडा है. कहा जाता है कि खान साहब को अंडे खूब पसंद थे. लिहाज़ा उन्हें प्रसाद के रुप में अंडे चढ़ाने का रिवाज़ है. यहां भक्त अंडे लेकर आते हैं. बाबा को चढ़ाते हैं और फिर बाकी अंडे घर ले जाकर उसे प्रसाद के रुप में बांट देते हैं.
कभी आप अगर बस्तर आएं तो इस जगह आना न भूलियेगा. ये वो जगह जहां आने से भले ही आपको कुछ नहीं मिलेगा लेकिन इतना तो तय है कि आप यहां से इन आदिवासियों से इंसानियत का सबक जरुर सीखने का मिलेगा. इन आदिवासियों के लिए हर इंसान में एक भगवान है और इंसानियत ही इनका धर्म है.