नई दिल्ली। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में प्रदूषण पर अंकुश लगाने की तैयारी कर ली है. दिल्ली में 1 अगस्त से प्रदूषण का रियल टाइम वास्तविक डाटा मिलने लगेगा. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रीयल-टाइम सोर्स अपॉर्शन्मन्ट परियोजना को लेकर की समीक्षा बैठक की. इसमें आईआईटी कानपुर की टीम ने अवगत कराया कि दिल्ली में प्रदूषण के वास्तविक स्रोतों का पता लगाने के लिए सुपर साइट की स्थापना जुलाई के अंत तक हो जाएगी. सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इससे दिल्ली के प्रदूषण में रियल टाइम कारकों का पता लगेगा, जिससे प्रदूषण के उस सोर्स को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी. समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, पर्यावरण मंत्री गोपाल राय, डीडीसी उपाध्यक्ष जस्मिन शाह सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे.

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प्रदूषण पूर्वानुमान परियोजना को लेकर समीक्षा बैठक

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने IIT कानपुर, IIT दिल्ली, द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) की टीमों के साथ रियल टाइम स्रोत विभाजन अध्ययन और प्रदूषण पूर्वानुमान परियोजना को लेकर समीक्षा बैठक की. समीक्षा बैठक में आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मुकेश ने बताया कि सुपरसाइट की स्थापना के लिए उपयुक्त स्थान की पहचान की है. पंडारा रोड पर सुपरसाइट स्थापित करने की योजना है. दिल्ली में जुलाई के अंत तक सुपरसाइट की स्थापना कर काम शुरू कर दिया जाएगा. सुपरसाइट 36 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनाया जाएगा, जिसकी ऊंचाई 3 मीटर होगी. इसे जमीन से करीब 9 से 14 मीटर ऊपर बनाया जाएगा. इसके साथ ही एक मोबाइल APP भी शुरू हो जाएगी. इसके जरिए अलग-अलग स्थानों पर प्रदूषण के कारणों का पता लगाया जाएगा.

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प्रदूषण में पराली के अलावा दूसरे कारकों का कितना योगदान, इसका रियल टाइम पता चल सकेगा

इसके अलावा रीयल टाइम एम्बिएंट एयर एनालाइज़र और ऑनलाइन पार्टिकुलेट मैटर और आयन विश्लेषण प्रणाली जैसे उपकरणों की खरीद प्रक्रिया की प्रोग्रेस से अवगत कराया गया. अत्याधुनिक उपकरणों की खरीद के लिए वैश्विक खरीद की प्रगति के बारे में बताया, साथ ही वायु प्रदूषण की प्रति घंटा, दैनिक और साप्ताहिक डाटा प्रदान करने के लिए वायु प्रदूषण पूर्वानुमान प्रणाली के विकास प्रगति की जानकारी दी गई. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने समीक्षा बैठक में कहा कि दिल्ली में हर साल 9 अक्टूबर के आसपास प्रदूषण मोडरेट श्रेणी में रहता है. इसके बाद अचानक से प्रदूषण स्तर बढ़ना शुरू हो जाता है. नासा के फोटो में देखने पर पता चलता है कि बड़ी संख्या में पराली जलाई जा रही होती है, जबकि आंकड़ों में बताया जाता है कि दिल्ली के प्रदूषण में पराली का सिर्फ 5 फीसदी हिस्सा होता है. ऐसे में दिल्ली के प्रदूषण में पराली का वास्तविक योगदान कितना होता है, इसके अलावा प्रदूषण में दूसरे कारकों का कितना योगदान होता है, इसका रियल टाइम पता लगाया जाए.

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प्रदूषण के सोर्स को नियंत्रित करने में मिलेगी मदद

CM केजरीवाल ने कहा कि इससे दिल्ली के प्रदूषण में रियल टाइम कारकों का पता लगेगा, जिससे प्रदूषण के उस सोर्स को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी. दिल्ली वायु प्रदूषण का वास्तविक समय स्रोत विभाजन करने वाला पहला शहर बनेगा. रीयल-टाइम सोर्स अपॉर्शन्मन्ट परियोजना दिल्ली में किसी भी स्थान पर वायु प्रदूषण में वृद्धि के लिए जिम्मेदार कारकों की पहचान करने में मदद करेगी. यह वाहन, धूल, बायोमास जलने, पराली जलाने और उद्योग उत्सर्जन जैसे विभिन्न प्रदूषण स्रोतों के वास्तविक समय के प्रभाव को समझने में मदद करेगी. इसके परिणामों के आधार पर दिल्ली सरकार प्रदूषण के स्रोतों पर अंकुश लगाने के लिए आवश्यक कदम उठा सकेगी. इससे दिल्ली के प्रदूषण के विभिन्न कारकों की पहचान करने और उनको दूर करने में मदद मिलेगी. प्रदूषण पूर्वानुमान प्राप्त होने से सरकार को स्कूल बंद करने, निर्माण स्थल पर प्रतिबंध, वाहनों पर प्रतिबंध सहित अन्य नीतिगत निर्णय लेने में मदद मिलेगी.

IIT और टेरी की टीम राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण को लेकर करेगी अध्ययन

इस परियोजना को दिल्ली कैबिनेट ने मंजूरी दी थी और पिछले साल अक्टूबर में करार पर हस्ताक्षर किए गए थे. इसके तहत IIT कानपुर, IIT दिल्ली, द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) और IISER मोहाली की टीम राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण को लेकर अध्ययन करेगी. दिल्ली सरकार की दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को IIT कानपुर के साथ अध्ययन को क्रियान्वित करने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में अधिकृत किया गया है.