रायपुर. छग कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष व पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. चरणदास महंत के नेतृत्व में निकली हसदेव जनयात्रा ने चौथे दिन शुक्रवार को देर रात कोरिया जिले से कोरबा जिले में प्रवेश किया. ग्राम कोरबी के आगे हसदेव नदी पुल पर ग्रामीणजनों ने हसदेव जन यात्रा का स्वागत किया. ग्राम कोरबी चैक व चोटिया में स्वागत करने ग्रामीण बड़ी संख्या में उमड़े रहे.

देर रात कोरबा जिले की सीमा में पहुंची जन यात्रा रात्रि विश्राम उपरांत शनिवार 17 फरवरी को प्रातरू जिले के ब्लॉक पोड़ी में ऐतमानगर पोडी, बरतराई, डोगरी तराई, कुटेशरनगोई, तुमान, बिंझरा, तानाखार पहुंची. डॉ. महंत की हसदेव जन यात्रा का जगह-जगह स्वागत किया गया.  डॉ. महंत ने विभिन्न जगहों पर आयोजित आम सभा में कहा कि हसदेव जन यात्रा को कोरिया जिले में अच्छा प्रतिसाद मिला, इससे लोगों में जागरूकता आयी है. कहीं न कहीं इस यात्रा से सरकार भयभीत है. डॉ. महंत ने कहा कि बांगो डेम जिससे लाखों किसानों को पानी मिल रहा है, उसमें उनके पिता स्व. बिसाहू दास महंत का योगदान रहा है. लेकिन आज सरकार द्वारा बांगो बांध के पानी को जगह-जगह रोका जा रहा है. वनों की कटाई, अवैध उत्खनन से छोटे-छोटे नाले जो हसदेव बांध में मिलते थे उनका मुहाना बंद होते जा रहा है जिससे डेम के भराव में अंतर आ सकता है. भविष्य में गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है. पानी उद्योगों को दिया जा रहा है किन्तु किसानों की चिन्ता सरकार को नहीं है.

महंत ने कहा कि कोरबा जिले में पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक जंगलों से घिरा है, कोल ब्लाक के माध्यम से यहां के जंगलों की कटाई की जा रही है, यहां आदिवासियों के सामाजिक संतुलन को बिगाडने की कोशिश की जा रही है. इस आदिवासी अंचल में हाथियों का प्रकोप भी बढ़ते जा रहा है. महंत ने आरोप लगाया कि पोड़ी ब्लाक के सूखाग्रस्त घोषित होने के बाद भी मनरेगा का काम पूर्ण रूप से प्रारंभ नहीं हो पाया है. मनरेगा में लगे मजदूर ग्रामीणों ने बताया की उनका पिछला भुगतान नहीं हुआ है. एनएच का निर्माण में प्रभावित किसानों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला.

महंत ने ये भी आरोप लगाए कि जिले में कोयला चोरी की घटना बढ़ती जा रही है. कोयला चोरों के कारण गांव में भय एवं आतंक व्याप्त है. हसदेव जन यात्रा में शामिल पाली-तानाखार विधायक व प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामदयाल उइके ने कहा कि उनके द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में कार्य कराये गये हैं जो कि अपर्याप्त हैं, सरकार की कई योजनाएं हैं लेकिन सरकार को आदिवासियों की चिन्ता नहीं है.