लखनऊ. राज्य सरकार ने निजी स्कूलों को शैक्षिक सत्र 2022-23 में फीस बढ़ाने की अनुमति दे दी है. फीस वृद्धि की गणना वर्ष 2019-20 की फीस को आधार मानकर की जाएगी. आधार वर्ष की फीस में पांच प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी न किए जाने की शर्त के साथ फीस में नवीनतम उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर वार्षिक वृद्धि की गणना करके जोड़ने का फार्मूला तैयार किया गया है.
अपर मुख्य सचिव गृह आराधना शुक्ला ने शनिवार को इस संबंध में शासनादेश जारी किया. यह शासनादेश प्रदेश में संचालित सभी शिक्षा बोर्डों के वित्त विहीन विद्यालयों पर लागू होगा. शासनादेश में कहा गया है कि वर्ष 2019-20 की शुल्क संरचना को आधार वर्ष मानते हुए शुल्क वृद्धि की जा सकती है. इसके अनुसार वर्ष 2019-20 में छात्रों से वसूल किए गए शुल्क के पांच प्रतिशत से अधिक की शुल्क वृद्धि नहीं की जाएगी.
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शिकायत कर सकते हैं अभिभावक
विद्यालयों द्वारा सत्र 2022-23 में ली जाने वाली फीस से यदि कोई छात्र, अभिभावक क्षुब्ध है तो अधिनियम की धारा आठ के तहत जिला शुल्क नियामक समिति के समक्ष शिकायत की जा सकती है.