शशि देवांगन, राजनादगांव. छत्तीसगढ़ में अंखफोड़वा कांड की घटना थमने का नाम नहीं ले रही है. प्रदेश में इससे पहले भी बालोद और कांकेर में मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान दर्जनों ग्रामीणों की आंखो की रौशनी जाने का मामला प्रकाश में आया था. बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग नही सचेता और एक बार फिर इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति देखने को मिली है.

इस बार मामला राजनांदगांव के मोहला-मानपुर क्षेत्र का है. जहां क्रिश्चियन फेलोशिप अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने आये लगभग 54 ग्रामीणों में से 37 मरीजों की आंख की रोशनी चली गई है लेकिन अस्पताल प्रबंधन इस पूरे मामले को दबाने में जुटा है. इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले की जानकरी स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को नहीं दी. मीडिया के हस्तक्षेप के बाद जब यह मामला प्रकाश में आया है तब स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की टीम ने अस्पताल पहुंचकर मामले की पड़ताल में जुट गई है.

बताया जा रहा है कि शहर के क्रिश्चियन फेलोशिप अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए निःशुल्क शिविर का आयोजन किया गया था. जिसमें मानपुर ब्लॉक के मुड़पार विचारपुर, हेलमकोड़ा, मरकाक्सा सहित अन्य गांवो और वनांचल के लगभग 54 ग्रामीण ऑपरेशन करवाने के लिए भर्ती हुए थे. जहां डॉक्टरों द्वारा इन मरीजों का आपरेशन किया गया. ऑपरेशन के दूसरे दिन इन सभी मरीजों को छुट्टी दे दी गई. मरीज अपने घर चले गए. लेकिन जब उन्होंने घर जाकर आंखो की पट्टी खोली तो लगभग 37 लोगों को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. बाद में पता चला कि उनकी आंखो की रौशनी जा चुकी है. जिसके बाद मरीजों के परिजनों के द्वारा अस्पताल प्रबंधन को इस बात की शिकायत की गई. शिकायत के बाद मरीजों का फिर से आपरेशन किया गया. लेकिन उसके बाद भी इन लोगों की आँखों की रोशनी नही लौटी. तब आननफानन में अस्पताल प्रबंधन के द्वारा इन मरीजों को रायपुर के निजी अस्पताल में ऑपरेशन करवाया गया. उसके बाद भी लोगो के आँखों की रौशनी वापस नहीं आई.

मरीजो के परिजन संतोष और देवदत्त शर्मा ने इस पूरे मामले में अस्पताल प्रबंधन के ऊपर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है साथ ही मामले की जाँच कर दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई किये जाने की मांग की है.

वही मोतियाबिंद का निःशुल्क आपरेशन करवाने आये मरीजों लखन शर्मा और मंगलू राम का कहना है कि डॉक्टरों के द्वारा ऑपरेशन किये जाने के बाद से उन्हें बिलकुल दिखाई नहीं दे रहा है. मरीजों का यह भी कहना है कि तीन बार ऑपरेशन करने के बाद भी उनकी आंखों की रोशनी नहीं लौटी है.

इस मामले में फेलोशिप अस्पताल के डायरेक्टर थामस अब्राहम सफाई देते नजर आये, उनका कहना है कि इससे पहले भी ऑपरेशन किया गया है लेकिन कोई शिकायत नहीं मिली हो सकता है कि संक्रमण के चलते इन मरीजो की आँखों की रौशनी चली गई होगी.

वहीं इस पूरे मामले के बारे में जिले के स्वास्थ्य अधिकारी तक को जानकारी नहीं दी गई. मामला ​मीडिया में आने के बाद जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मिथलेश चौधरी ने मामले की जांच के बाद दोषियों के​ खिलाफ कार्रवाई किये जाने की बात कही है.

बहरहाल स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अस्पताल पहुंचकर मरीज और डॉक्टरों का बयान लिया है. टीम का कहना है कि शुरूआती जांच में संक्रमण के चलते ही लोगों के आंखों की रोशनी जाना प्रतीत हो रहा है.

आपको बता दें कि प्रदेश में इसके पूर्व भी साल 2011 में बालोद जिले में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा आयोजित शिविर में मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद दर्जनों लोगों की आँखों की रौशनी चली गई थी. इसके बाद कांकेर में भी 2 नवम्बर 2016 को मोतियाबिंद शिविर में ऑपरेशन के बाद कई लोगों की आँखों की रौशनी चले जाने का मामला सामने आया था. जिसके बाद इस मामले को लेकर सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी. उसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग का अमला नही सचेता और एक बार फिर 37 लोगों की आंख की रोशनी जाने का मामला प्रकाश में आया है.