कुमार इंदर,जबलपुर। त्रिस्तरीय निकाय और पंचायत चुनाव को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट का एक अहम और बड़ा फ़ैसला आया है. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर 1 हफ्ते के अंदर नोटिफिकेशन जारी किया जाए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने एक बात स्पष्ट कर दी कि आरक्षण किसी भी हाल में 50% से ऊपर नहीं होना चाहिए. यानी मध्य प्रदेश में एससी, एसटी और ओबीसी को मिलाकर आरक्षण के सीमा किसी भी हाल में 50% से उपर नहीं जाना चाहिए. इस हिसाब से ओबीसी को केवल 14% ही आरक्षण दिया जाएगा, क्योंकि एससी को 16% तो एसटी को 20% प्रतिशत का आरक्षण वर्तमान में मिल रहा है.

एक प्वाइंट पर आकर कैसे पलट गया सुप्रीम कोर्ट का फैसला

पंचायत और निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट 10 मई को अपना फैसला सुना चुका है. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने साफ साफ कहा था कि मध्य प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव बिना ओबीसी रिजर्वेशन की होंगे, तो फिर ऐसी क्या स्थिति बनी कि सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला पलटना पड़ा.

दरअसल सरकार ने एप्लीकेशन फॉर मॉडिफिकेशन की जो अर्जी लगाई थी, उसी पर कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान अधिवक्ता शशांक रत्नू ने सुप्रीम कोर्ट को 102 और 127वे संविधान संशोधन का हवाला देते हुए कहा कि ओबीसी रिजर्वेशन पर ट्रिपल टेस्ट के कोई मायने ही नहीं है. एडवोकेट शशांक रत्नू ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जब पहले से ही संविधान संशोधन करके ओबीसी वर्ग आईडेंटीफाई कर दिया गया है, तो फिर ट्रिपल टेस्ट के आखिर क्या मायने हैं. इस बात को भी कोर्ट ने कंसीडर करते हुए ना केवल अपना फैसला पलटा, बल्कि मध्य प्रदेश में निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण देने का फैसला किया.

सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आयोग की रिपोर्ट को नहीं माना है फाइनल

आज हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी कमिशन की रिपोर्ट को अभी तक फाइनल रिपोर्ट नहीं माना है. सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी कमिशन की रिपोर्ट को प्रथम दृष्टया सच मानते हुए यह ओबीसी रिजर्वेशन देने की सुविधा दी है. यानी कि इसका मतलब यह हुआ कि यदि भविष्य में रिजर्वेशन से संबंधित नोटिफिकेशन को किसी ने सुप्रीम कोर्ट चैलेंज किया तो वह मान्य होगा.

अभी तक पब्लिक डोमेन में नहीं आई है ओबीसी कमिश्चन की रिपोर्ट

एक और बात जो गौर करने बाली है वो ये कि मध्यप्रदेश ओबीसी आयोग ने ओबीसी आरक्षण पर ट्रिपल टेस्ट की जो रिपोर्ट बनाई है उसे पब्लिक डोमेन में नहीं लाया गया है. यानी की अभी तक मध्यप्रदेश की ओबीसी आबादी को पता ही नहीं है कि ट्रिपल टेस्ट में उनके अधिकारों को लेकर क्या क्या बातें कही गई है. बताया जा रहा है कि कमिश्नर ने रिपोर्ट की 8 कॉपी बनाई है, उसकी एक कॉपी सुप्रीम कोर्ट में पेस की है.

फैसले को बीजेपी बता रही जीत तो, कांग्रेस ने कहा सरकार की हार

पंचायत चुनाव पर ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जहां बीजेपी सरकार अपनी जीत बता रही है, तो वहीं कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी की जीत नहीं बल्कि असल में हार है. कांग्रेस का कहना है कि कमलनाथ सरकार ने ओबीसी वर्ग को 27% राजनीतिक रिजर्वेशन दिलवाया था, लेकिन इस बीजेपी सरकार ने उसे हटाने का काम किया है. यही नहीं कांग्रेस का कहना है कि यदि सरकार निकाय चुनाव में डीलिमिटेशन लेकर आती तो आज मामला कोर्ट में पहुंचने की नौबत ही नहीं आती.

कांग्रेस सरकार ने दिलाया था 27% आरक्षण

जब 15 महीने वाली कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने अध्यादेश लाकर ओबीसी को 27% पॉलिटिकल रिजर्वेशन दिलाया था, इसके बाद में उसको बकायदा विधानसभा में कानून बनाकर पारित भी कराया था. इस लिहाज से कहीं ना कहीं देखा जाए तो ये बीजेपी की हार है. अब कांग्रेस को इस बात को लेकर मैदान में जाने का मौका मिल गया है कि यदि बीजेपी सरकार पंचायत चुनाव में गलत डीलिमिटेशन और परिसीमन लेकर नहीं आती तो आज ओबीसी का 27% आरक्षण नहीं मारा जाता.

ओबीसी कमिशन की सही रिपोर्ट होती तो मिलता 27% आरक्षण

जानकारों का मानना है कि जिस तरह से ओबीसी कमिशन ने ओबीसी वर्ग को लेकर ट्रिपल टेस्ट की रिपोर्ट बनाने में लापरवाही बरती है, उसको पिछले 10 मई को ही सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. जानकारों का मानना है कि कहीं ना कहीं भी कमीशन की रिपोर्ट सही बनी होती तो शायद ओबीसी को उसका वाजिब हक मिलता.

राज्य निर्वाचन आयोग दे चूका अपनी रिपोर्ट

इस मामले में राज्य निर्वाचन आयोग ने पहले ही यानी 16 मई को ही सुप्रीम कोर्ट में तथ्यात्मक रिपोर्ट यानि की वस्तु स्थिति पेश कर दी है. इस रिपोर्ट में राज्य निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट में बताया है कि वह प्रदेश में पंचायत चुनाव से पहले निकाय चुनाव कराने जा रही है. निर्वाचन आयोग प्रदेश में 321 निकाय चुनाव कराने के लिए तैयार है. राज निर्वाचन आयोग वह 14 मई के पहले चुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी कर देगा. यही नहीं चुनाव आयोग 30 दिन के अंदर 321 नगरी निकायों चुनाव संपन्न करा देगा.

कुछ ऐसा है नगरीय निकाय और पंचायतों का गणित

प्रदेश में कुल 321 नगरीय निकायो में चुनाव. 16 नगर निगम, 79 नगर पालिका परिषद और 226 नगर परिषद. 22263 ग्राम एवं पंचायत निकायो में चुनाव लंबित. 22709 पंचायतें. 313 जनपद पंचायत और 5 ज़िला पंचायत शामिल है.

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