मुंबई. इन दिनों सोशल मीडिया पर सबसे बड़ा मुद्दा मशहूर अदाकारा श्रीदेवी की मौत औऱ उससे जुड़ी कहानियां हैं. सोशल मीडिया यूजर्स एक सवाल धड़ल्ले से उछाल रहे हैं कि आखिर क्यों श्रीदेवी के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटा गया था. आपको वजह बताते हैं जिसके बाद इस सवाल का जवाब आपको मिल जाएगा.
दरअसल राज्य किसे राजकीय सम्मान के साथ विदाई देगी ये राज्य सरकार या केंद्र सरकार तय करेगी. प्रोटोकाल और रुल बुक के मुताबिक पूर्व व वर्तमान प्रधानमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और राज्य मंत्रियों के निधन पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किए जाने का प्रावधान है लेकिन पिछले कई सालों से राज्य सरकारों ने अंतिम संस्कार के वक्त किसे राजकीय सम्मान दिया जाना है और किसे नहीं ये अपने हिसाब से तय करना शुरु कर दिया है.
राजकीय सम्मान के साथ जब भी किसी का अंतिम संस्कार किया जाता है तो उस व्यक्ति का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा होता है. देश के तिरंगे के प्रयोग के लिए बने फ्लैग कोड के मुताबिक देश का गृह मंत्रालय ये तय करेगा कि किस व्यक्ति को राजकीय शोक और सम्मान के साथ श्रद्धांजलि देनी है.
तो, अब मुद्दे की बात पर आते हैं श्रीदेवी के पार्थिव शरीर को इसलिए तिरंगे में लिपटाकर रखा गया था क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने सिनेमा में उनके अतुलनीय योगदान को देखते हुए उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ करने का फैसला लिया था. इतना ही नहीं देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पदमश्री पुरस्कार से भी उन्हें नवाजा गया था. इसलिए राज्य सरकार को चूंकि ये तय करना होता है कि किसे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई देनी है और किसे नहीं. श्रीदेवी के मामले में भी राज्य सरकार को ये फैसला लेना था औऱ राज्य सरकार ने उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई देने का फैसला लिया था. जिसके चलते उनके पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर अंतिम विदाई दी गई.
उम्मीद करते हैं कि इसके बाद आपके दिमाग में चल रहे ढेर सारे सवालों के जवाब मिल गए होंगे. आपकी जानकारी के लिए एक चीज और बता देते हैं. वो ये कि, देश में सबसे पहले राजकीय सम्मान के साथ विदाई जिस शख्स को दी गई थी वो थे हमारे प्यारे बापू, यानि महात्मा गांधी.