सत्यपाल राजपूत, रायपुर. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की पहचान अब पूर्वी और पश्चिमी अफ्रीका के सात देशों में भी कायम होगी. नाइजिरिया, तंजानिया, युगांडा, मेडगास्कर, सेनेगल, मोजाम्बिक और घाना में धान की नई उन्नत प्रजातियों के विकास में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय तकनीकी मार्गदर्शन और सहयोग करेगा.

कंसल्टेटिव ग्रुप ऑफ इन्टरनेशनल एग्रीकल्चरल रिसर्च (सीजीआईएआर) और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के बीच ‘क्रॉप टू एंड हंगर’ परियोजना के संचालन के लिए एमओयू किया गया है. इस एमओयू पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल एवं सीजीआईएआर की ओर से एक्सिलेन्स इन ब्रीडिंग प्रोग्राम के कॉर्डिनेटर डॉ. एसके कटियार ने हस्ताक्षर किए. अफ्रीकी देशों में धान अनुसंधान और विकास के लिए संचालित 3.50 करोड़ रुपए लागत की इस परियोजना का व्यय सीजीआईएआर द्वारा वहन किया जाएगा.

किसानों को भी मिलेगा फायदा

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने इस अवसर पर कहा कि इस परियोजना के तहत भविष्य की आवश्यकताओं और बाजार मांग को ध्यान में रखते हुए मौसम की विषमताओं के प्रति सहनशील और अधिक उत्पादन देने वाली धान की नई प्रजातियों का विकास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस परियोजना से छत्तीसगढ़ के किसानों को भी काफी लाभ मिलेगा.

सीजीएआईआर उपलब्ध कराएगा राशि

डॉ. चंदेल ने कहा कि परियोजना के तहत कृषि विश्वविद्यालय में अनुसंधान अधोसंरचना विकास के लिए सीजीएआईआर द्वारा एक करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि भी उपलब्ध कराई जाएगी. ये राशि स्पीड ब्रीडिंग तकनीक और ब्रीडिंग मैनेजमेंट सिस्टम के विकास के लिए उपलब्ध कराई जाएगी. स्पीड ब्रीडिंग तकनीक के द्वारा नई प्रजातियों के विकास में लगने वाली अवधि को 14-15 सालों से घटाकर 6-7 साल किया जा सकेगा. इस परियोजना के तहत धान की नई प्रजातियों के विकास से संबंधित डाटाबेस भी तैयार किया जाएगा. जिसका उपयोग इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा भी नई प्रजाति विकास के लिए किया जा सकेगा.

अन्य फसलों पर भी किया जाएगा अनुसंधान

परियोजना में कार्य करने पर कृषि विश्वविद्यालय को अफ्रीका के अनेक देशों में उपलब्ध जर्मप्लाज्म भी प्राप्त होंगे. जिनका उपयोग धान की नई प्रजातियों के विकास के लिए किया जा सकेगा. परियोजना के अगले चरण में धान के अलावा अन्य फसलों जैसे मक्का, गेहूं और उद्यानिकी फसलों की नवीन किस्मों के विकास के लिए भी अनुसंधान कार्य किए जाएंगे.

वैज्ञानिक रहे मौजूद

गौरतलब है कि क्रॉप टू एंड हंगर परियोजना के तहत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विगत पांच सालों से सी.जी.आई.ए.आर. के साथ मिलकर धान की नवीन प्रजातियों के विकास के लिए अनुसंधान किया जा रहा है. एमओयू हस्ताक्षर समारोह में संचालक अनुसंधान डॉ. विवेक त्रिपाठी, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय, रायपुर डॉ. एमपी ठाकुर, कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय, रायपुर के अधिष्ठाता डॉ. विनय पाण्डेय और अन्य कई वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे.

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