आज मेरे एक मित्र ने पीएससी परीक्षा पास कर डिप्टी कलेक्टर बनने एक ट्यूटोरियल्स जॉइन किया है. आज पहले दिन वह क्लास अटेंड कर घर लौटने पर मुझे एक वाकया सुना रहा था. बात बहुत दिलचस्प है इसलिए आपसे साझा कर रहा हूं. मित्र ने बताया कि वह आज सुबह कोचिंग सेंटर आधा घंटा लेट पहुंचा. कोचिंग सेंटर के सर ने पूछा कि शुरू ही दिन लेट कैसे हो गए. मित्र ने कहा- सर आज शुरू दिन था तो एक मंदिर में पूजा- प्रार्थना करने चला गया था. मंदिर में भीड़ थी इसलिए आने में देरी हो गया सर! इस बीच सबकी हंसी छूट पड़ी. सर ने अब सभी से पूछा कि यहां क्लास में सबसे पहले कौन आया है. एक लड़के ने खड़ा होकर कहा- सर मैं आया हूँ. सर ने पूछा क्या तुम भी सुबह नहाकर, मंदिर में पूजा-पाठ करके आए हो. उन्होंने कहा- सर देर रात तक पढ़ते-पढ़ते सो गया था. सुबह नींद खुलते ही सिर्फ मुंह धो कर सीधे यहां आया हूं. नहाना तो दूर सर ब्रश भी नहीं कर पाया हूँ. इस बीच फिर से सब की हंसी छूट पड़ी.
इस वाकये को अब यहीं पर छोड़ कर मैं बताना चाहता हूं कि परीक्षाओं का दौर शुरू हो चुका है. मंदिरों की घंटियां कुछ ज्यादा ही गूंजने लगी है. आप पूछेंगे की परीक्षा और मंदिरों का क्या संबंध है. परीक्षाओं के पहले घंटियाँ न बजे तो परीक्षाएं कैसी. हर परीक्षा के पहले मंदिर में फल-फूल चढ़ाकर भगवान को घूस देने की भारतीय परंपरा है. युद्ध के पहले रणभेरी और शंखनाद इत्यादि का ऐतिहासिक प्रचलन रहा है. परीक्षा के पहले घंटीनाद और घंटानाद का अटूट भारतीय परंपरा है. बार-बार भारतीय कहते ही मुझे याद आया भारतीय जनता पार्टी की. ये भारतीय जनता पार्टी चुनावी परीक्षा में बिना घंटियाँ बजाये लगातार पास कैसे हो रही है. भारतीय जनता पार्टी पर आखिर किसकी असीम कृपा है कि लगातार पार्टी विजय पताका फहरा रही है.
आपको बता दूं कि भाजपा पर भारत माता की कृपा है. हालांकि हम सब भारत माता के ही बेटे हैं यह तो हमें मालूम है. मगर मेरी यह भारत माता किसकी बेटी है यह मुझे आज पर्यंत मालूम नहीं हो सका है. मैं हमेशा आज तक अपने मामा-नाना के घर जाने छटपटाता रहा हूं. तरसता रहा हूँ. बिल्कुल राहुल बाबा के जीत के लिए तरसने की तरह. कांग्रेस जिस तरह देश में सिमटते जा रही है. मुझे ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी को भी कोई कांग्रेस माता की परिकल्पना कर भविष्य के लिए कोई आरएसएस जैसी संगठन निर्माण करने की जरूरत है. भारत भूमि को भारत माता और मातृभूमि हम सब भारतीय अरसों-बरसों से मानते-पूजते आये हैं. यह हमारा गौरवशाली इतिहास रहा है. इसकी जड़ें काफी गहरी है. भारत के अतिरिक्त कोई भी देश अपनी भूमि को माता नहीं कहते. इस संदर्भ में अब आगे बात करें तो भारत में एकमात्र छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है जिसने अपनी भूमि को छत्तीसगढ़ महतारी कहा है. माता की कृपा और संयोग देखिए यहां भी लगातार भाजपा तीन बार से सत्ता में काबिज है.
चौथी बार चुनावी परीक्षा के लिए भी पार्टी अब कमर कस चुकी है. हां, यह दीगर बात है कि सूबे के मुखिया डॉ रमन सिंह जीत के पीछे कभी मरही माता तो कभी बरही माता का आशीर्वाद बताते रहे हों. मुख्यमंत्री जब गिरौदपुरी जाते हैं तो लगातार जीत के पीछे संत शिरोमणि पूज्य गुरु घासीदास जी की आशीर्वाद बताते हैं. दंतेवाड़ा में जाकर दंतेश्वरी माता की कृपा बताते हैं. अभी बीते दिनों माननीय मुख्यमंत्री संत समागम में कह रहे थे कि उन्हें जन्म से ही संत कबीर दास जी का आशीर्वाद प्राप्त है. क्योंकि उनकी जन्मभूमि कबीरधाम है. यहीं कारण है कि वे लगातार 15 सालों से शासन पर हैं. बहरहाल देखना होगा कि इस बार तमाम संत-बाबाओं के आशीर्वाद और तमाम माताओं की कृपा जीत का कितना अमृत घोल पाएगी. मुझे कांग्रेस पर बहुत तरस आता है. उन पर किसी माता की कृपा नहीं बरस पा रही है. राहुल बाबा भी कोई चमत्कार नहीं कर पा रहे हैं. आज बस इतना ही…फिर मिलेंगे…
लेखक – कंचन ज्वाला कुंदन
( ये लेखक के अपने निजी विचार हैं )