निजी अस्पताल की बड़ी लापरवाही सामने आई है जिसमें मरीज को ओ+ की जगह बी+ रक्त चढ़ा दिया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई थी. मामला राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग तक पहुंचा, जहां मेडिकल लापरवाही को लेकर 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है.
तिरुवंतपुरम अस्पताल का यह मामला है. अस्पताल मुआवजे के साथ पीड़ित के परिजनों को 1 लाख रुपये मुकदमे के खर्च के रूप में अलग से अदा करेगा. जस्टिस आरके अग्रवाल की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश दिया है.
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आयोग ने ये भी कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि अस्पताल ने मरीज को गलत रक्त चढ़ाने के दौरान हुए लक्षणों को नजरअंदाज किया और उसके अन्य टेस्ट नहीं करवाए. मामले में सायरा (परिवर्तित नाम) को उसके पति ने उर्वरता के इलाज के लिए तिरुवंतपुरम के एक अस्पताल में भर्ती करवाया था. अल्ट्रासोनोग्राफी के बाद अस्पताल ने बताया कि यूट्रस में फाइब्रोसिस पाया गया है, जिसका ऑपरेशन होगा. इसके लिए उन्होंने लेप्रोस्कोपिक ऑपरेशन किया और इस दौरान उसे खून चढ़ाया. खून चढ़ाने पर मरीज की हालत बिगड़ी. अंत में उसकी मृत्यु हो गई.
अस्पताल के डॉक्टरों ने यह माना था कि गलत समूह का खून चढ़ाया गया. बाद में अस्पताल के खिलाफ राज्य उपभोक्ता अदालत में मुकदमा किया गया और 50 लाख रुपये का मुआवजा मांगा गया. इस दौरान पति की सड़क हादसे में मौत हो गई. राज्य आयोग ने मात्र 9 लाख 33 हजार रुपया मुआवजा मंजूर किया. इसके खिलाफ परिजनों ने राष्ट्रीय आयोग में अपील की थी. इस पर आयोग ने सख्त फैसला दिया.
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