हिमालय पर्वत पर खतरनाक सकेंत देखने को मिल रहे है. जहां हर बार जून महीने में बर्फ पिघलती है वहीं इस बार 2 महीने पहले ही अप्रैल में ही पहाड़ी की बर्फ पिघल गई है. तापमान बढ़ने के भी खतरनाक संकेत मिले हैं. जलवायु परिवर्तन केंद्र के सेटेलाइट से मिली जानकारी के अनुसार सतलुज घाटी में 33, रावी में 21, ब्यास में 36 और चिनाब घाटी में 66 प्रतिशत बर्फ रह गई है.
हिमालय का तापमान बढ़ना अच्छे संकेत नहीं
हिमाचल प्रदेश विज्ञान पर्यावरण एवं प्रौद्योगिकी परिषद के ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक तापमान में उछाल अच्छा संकेत नहीं है, क्योंकि हिमालय से निकलने वाली स्पीति, रावी, सतलुज और इसकी बारहमासी सहायक नदियों को ग्लेशियर और स्नो कवर एरिया रिचार्ज करते हैं.
राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा 681 सड़कें बंद
भारी बर्फबारी से शिमला सहित अन्य पर्वतीय जिलों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. राज्य में भारी बर्फबारी के कारण अप्पर शिमला सहित सैंकड़ों गांवों का जिला मुख्यालयों से संपर्क टूट गया है. तीन राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा 681 सड़कें बंद हो गई हैं. जिसके कारण लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं रास्तों में फंसे पर्यटकों को भी दिक्कतें उठनी पड़ रही हैं.
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पंजाब, हरियाणा, राजस्थान पर पड़ेगा असर
हिमालय क्षेत्रों के साथ लगते जल स्त्रोतों पर इसका व्यापक असर मार्च, अप्रैल और मई महीने में पानी की कमी के तौर पर प्रदेश के लोग झेल चुके है. पर्यावरण वैज्ञानिक मान रहे हैं कि हिमाचल में अर्ली गर्मी के साइड इफेक्ट आने वाले दिनों में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान पर पानी के डिस्चार्ज में कमी के तौर में देखने को मिल सकते हैं.
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HIMCOSTE के सीनियर सांइटिफिक ऑफिसर डॉ. सुरजीत रंधावा के हवाले से कुछ मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि स्नो कवर कम होने से पानी का डिस्चार्ज कम होगा. प्रदेश के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों पर भी शॉट टर्म में इसका असर देखने को मिल सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 के दौरान 2020-21 की तुलना में स्नो कवर एरिया में 19.47 फीसदी का इजाफा हुआ था, क्योंकि बीते साल अक्तूबर से दिसम्बर के बीच अच्छी बर्फबारी हुई है, लेकिन 2019-20 की तुलना में 2021-22 का स्नो कवर 18 फीसदी कम है.
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