नई दिल्ली। केजरीवाल सरकार ने मिंटो ब्रिज की तरह आईटीओ के आसपास के क्षेत्र को जलभराव मुक्त किया है. पीडब्ल्यूडी मंत्री मनीष सिसोदिया ने दौरा कर तैयारियों का जायजा लिया. रिंग रोड, आईपी एस्टेट पर जलजमाव रोकने के लिए पीडब्ल्यूडी ने तैयार 5 लाख लीटर क्षमता का संप तैयार किया है. इसके अलावा स्टॉर्म वॉटर ड्रेन का भी निर्माण भी किया गया है. जलजमाव से निपटने के लिए सड़क की ऊंचाई बढ़ाई गई है. 9 वॉटर पंप भी तैनात किए गए हैं. सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारी पूरी कोशिश है कि जनता को कोई तकलीफ ना हो. उपमुख्यमंत्री और पीडब्ल्यूडी मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि पिछले साल आईटीओ के पास डबल्यूएचओ बिल्डिंग के सामने का रोड जलजमाव के हॉटस्पॉट के रूप में उभरा था. इस बार भारी बारिश में भी यहां जलजमाव नहीं होगा. केजरीवाल सरकार माइक्रो लेवल प्लानिंग के साथ जलजमाव की समस्या को दूर करने पर फोकस कर रही है.
जलजमाव को रोकने के लिए युद्धस्तर पर तैयारियां
केजरीवाल सरकार ने मानसून के दौरान दिल्ली में होने वाले जलजमाव को रोकने के लिए युद्धस्तर पर तैयारियां कर रही है. इस बाबत पीडब्ल्यूडी ने राजधानी के विभिन्न मुख्य जलजमाव वाले स्थानों को चिन्हित कर ऐसे इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने का काम कर रही है, जो भारी बारिश के दौरान भी जलजमाव की स्थिति पैदा नही होने देंगे. उपमुख्यमंत्री व पीडब्ल्यूडी मंत्री मनीष सिसोदिया ने इन तैयारियों का निरीक्षण करने के लिए शुक्रवार को आईपी एस्टेट रिंग रोड, डब्लयूएचओ बिल्डिंग के सामने होने वाले जलजमाव स्थल का दौरा किया और पीडब्ल्यूडी अधिकारियों से जलजमाव को रोकने के लिए की गई तैयारियों का जायजा लिया.
करीब सवा फुट सड़क को ऊंचा किया गया
पीडब्ल्यूडी द्वारा जलजमाव से निपटने के लिए गई तैयारियों और शुक्रवार को बारिश के बाद की स्थिति का निरीक्षण करने के बाद मनीष सिसोदिया ने कहा कि बारिश में पानी भरने का मिंटो ब्रिज हॉटस्पॉट माना जाता था. पिछले दो साल में केजरीवाल सरकार ने उस पर काम किया. इसी वजह से पिछले साल मिंटो ब्रिज पर जल जमाव देखने को नहीं मिला. मिंटो ब्रिज पर जलजमाव रोकने के बहुत अच्छे इंतजाम हो गए हैं. पिछले साल ये स्थान जलभराव के एक नए हॉटस्पॉट के रूप में उभरा था. जलजमाव के कारण यहां लोगों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ा था, तभी तय कर लिया था कि अगले साल एक बूंद भी पानी यहां पर जमा नहीं होना चाहिए. इस बार मानसून से पहले ही संज्ञान लेते हुए यहां जलजमाव की समस्या से निपटने के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. हमारे इंजिनियरों ने पूरी व्यवस्था कर ली है कि इस बार इस इलाके में कहीं भी जलजमाव की समस्या नहीं होगी. निरीक्षण के दौरान उप मुख्यमंत्री को अधिकारियों ने बताया कि यहां पर पहले 8 इंच पानी जमा हुआ था. ऐसे में करीब सवा फुट सड़क को ऊंचा किया गया है, ताकि जलभराव का सामना ना करना पड़े.
9 पंप भी लगाए गए
मनीष सिसोदिया ने बताया कि जल निकासी के लिए आईपीजीसीएल के प्लांट के साथ एक स्टॉर्म वॉटर ड्रेन का निर्माण किया गया है, साथ ही यहां 5 लाख लीटर क्षमता का संप भी बनाया गया है. बरसात के दौरान किसी भी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े, इसके लिए यहां 9 पंप भी लगाए गए हैं. भारी बारिश में भी इस सड़क से लाखों लीटर पानी तुरंत हटाया जा सकता है.
स्टॉर्म वॉटर ड्रेन, अलर्ट अलार्म सिस्टम, सीसीटीवी कैमरा लगाए गए
गौरतलब है कि पिछले साल दिल्ली में मानसून के दौरान असामान्य बरसात हुई थी. सामान्यतः दिल्ली में मानसून के दौरान प्रतिदिन अधिकतम 25-30 मिमी बारिश होती है, लेकिन पिछले साल शहर में 110 मिमी बारिश दर्ज की गई थी, जिसके कारण दिल्ली को कई स्थानों पर जलजमाव की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा था. इस पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली सरकार ने इस साल युद्धस्तर पर काम करते हुए गंभीर जलजमाव वाले 7 क्षेत्रों को चिन्हित कर वहां पहले से ही जलजमाव की समस्या से निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी थी. हर जलजमाव वाले स्थान की जरूरत के अनुसार लाखों लीटर क्षमता वाले संप का निर्माण, पंप की तैनाती, स्टॉर्म वॉटर ड्रेन, अलर्ट अलार्म सिस्टम, सीसीटीवी कैमरा लगाए गए हैं.
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पीडब्ल्यूडी ने एक सेंट्रल कंट्रोल रूम की भी स्थापना की
बता दें कि इस साल जलजमाव से निपटने के लिए पीडब्ल्यूडी ने एक सेंट्रल कंट्रोल रूम की भी स्थापना की है, जहां से दिल्ली के 10 गंभीर जलजमाव वाले स्थानों की सीसीटीवी कैमरा के माध्यम से 24 घंटे निगरानी की जाएगी.
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