नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 की दिल्ली हिंसा के पीछे बड़ी साजिश के सिलसिले में जेएनयू छात्र-सामाजिक कार्यकर्ता उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई सोमवार को 27 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की विशेष पीठ को उमर खालिद के वकील द्वारा सूचित किए जाने के बाद कि वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पेस कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं, जमानत याचिकाओं पर बहस 27 जुलाई की तारीख सुनवाई के लिए निर्धारित कर दी गई.
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दिल्ली हिंसा को भड़काने का आरोप
उमर खालिद, शरजील इमाम और जामिया मिलिया इस्लामिया एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष शिफा-उर-रहमान ने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपनी अपील दायर की है, जिसने साजिश के मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था. पुलिस के अनुसार, इमाम और खालिद को भड़काऊ भाषणों के सिलसिले में आरोपों का सामना करना पड़ रहा है, जिन्होंने कथित तौर पर हिंसा को बढ़ावा दिया था. 7 अप्रैल को एक निचली अदालत ने रहमान को जमानत देने से इनकार कर दिया, जो जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी (जेसीसी) के सदस्य भी हैं, जिन्हें दंगों में उनकी कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया था और चार्जशीट दायर किया गया था. अदालत ने कहा कि वह पहले उमर खालिद के मामले की सुनवाई पूरी करेगी, जिसके बाद अन्य लोगों से जुड़े मामलों को देखा जाएगा.
13 सितंबर 2020 को उमर खालिद की हुई थी गिरफ्तारी
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने 24 मार्च को उमर खालिद की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था, जिस मामले में उन्हें 13 सितंबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व स्कॉलर को जमानत देने से इनकार करते हुए अदालत ने कहा था कि यह तर्क कि वह एक शोधकर्ता हैं और उनकी सोच का आकलन झारखंड के आदिवासियों के कल्याण पहलुओं पर उनकी डॉक्टरेट थीसिस और अन्य लेखों से किया जा सकता है, मगर यह जमानत अर्जी पर फैसला करते समय प्रासंगिक विचार नहीं है.
दिल्ली हिंसा 2020 में आरोपी हैं खालिद और शरजील इमाम
दिल्ली पुलिस के अनुसार, खालिद और शरजील इमाम दिल्ली हिंसा 2020 से जुड़े बड़े षड्यंत्र के मामले में लगभग दर्जन भर आरोपियों में शामिल हैं. फरवरी 2020 में राष्ट्रीय राजधानी में हिंसा भड़क उठी थी, क्योंकि सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोग और इसके समर्थन में सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों ने हिंसक रूप ले लिया था. यह हिंसा ऐसे समय पर भड़की थी, जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहली भारत यात्रा हो रही थी. इस हिंसा में 50 से अधिक लोगों की जान चली गई थी, जबकि 700 से अधिक घायल हो गए थे.
शरजील इमाम ने लगाया जेल के अंदर मारपीट का आरोप
इधर कार्यकर्ता और जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने यहां एक अदालत का दरवाजा खटखटाया है ओर जेल के अंदर मारपीट और उत्पीड़न का आरोप लगाया और अपने जीवन की सुरक्षा के लिए निर्देश देने की मांग की है. शरजील इमाम 2020 के दिल्ली दंगों के मामले में न्यायिक हिरासत में है. शरजील के वकील ने अदालत को बताया कि 30 जून को शाम लगभग 7.30 बजे सहायक अधीक्षक 8-9 दोषियों के साथ तलाशी लेने के नाम पर आवेदक के कक्ष में आया. दोषियों द्वारा तलाशी अभियान की अनुमति नहीं है. तलाशी के दौरान याचिकाकर्ता की किताबें और कपड़े फेंक दिए गए थे, उन्होंने हमला किया और एक आतंकवादी और एक राष्ट्र-विरोधी कहा.
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जेल के CCTV कैमरे में वीडियो रिकॉर्डिंग रखने के लिए मांगा निर्देश
उन्होंने संबंधित अधिकारियों से भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचाने के लिए निर्देश देने की मांग की और जेल अधिकारियों से संबंधित समय पर जेल के सीसीटीवी कैमरे में वीडियो रिकॉर्डिंग रखने के लिए निर्देश मांगा. शरजील इमाम की याचिका में कहा गया है कि हालांकि उन्होंने सहायक अधीक्षक से अनुरोध किया कि दोषियों को उन पर हमला करने से रोका जाए, लेकिन उनकी याचिका पर ध्यान नहीं दिया गया. इमाम ने याचिका में कहा कि ऐसा लगता है कि सहायक अधीक्षक अवैध कार्य में शामिल थे. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ कैदियों ने उनके कब्जे में कुछ नशीला पदार्थ रखने की भी कोशिश की.
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