रायपुर. आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को विवस्वत सप्तमी मनाई जाती है. आज के दिन सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व बताया जाता है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव की पूजा करने से व्यक्ति को लंबी आयु, अच्छा आरोग्य, धन-धान्य में बढ़ोत्तरी, यश-कीर्ति, विद्या, भाग्य और पुत्र, मित्र व पत्नी का सहयोग प्राप्त होता है. कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति सच्ची निष्ठा और श्रद्धाभाव से व्रत रखकर भगवान सूर्य की पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने का विधान है.

विवस्वत सप्तमी व्रत का महत्व

सप्तमी के दिन सूर्यदेव की पूजा करने से जीवन सारी परेशानियां दूर होती हैं तथा भाग्य का साथ मिलता है.

यश-कीर्ति बढ़ने के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी सारी समस्याएं दूर होती है.

आइए अब जानते हैं पूजा विधि

  • अलसुबह उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्नान करके लाल वस्त्र धारण करें.
  • अपने माथे पर लाल चंदन का तिलक लगाएं.
  • तत्पश्चात तांबे के कलश में जल भर कर उसमें लाल फूल, रोली, अक्षत और चीनी डालें.
  • इसके बाद सूर्यदेव को ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य चढ़ाएं.
  • शाम को सूर्यास्त से पूर्व एक बार फिर सूर्य देव को अर्घ्य दें.
  • शाम को गुड़ का हलवा बना कर सूर्यदेव को अर्पित करें और इसे प्रसाद के रूप में बांटें.
  • शाम को सूर्यदेव की पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन करावाएं तथा दक्षिणा दें.
  • सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ अवश्‍य करना चाहिए.

सूर्य देव के मंत्र पुत्र की प्राप्ति के लिए सूर्य देव के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए:  

ऊँ भास्कराय पुत्रं देहि महातेजसे।
धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात्।।

हृदय रोग, नेत्र व पीलिया रोग एवं कुष्ठ रोग तथा समस्त असाध्य रोगों को नष्ट करने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:   
ऊँ हृां हृीं सः सूर्याय नमः।। 

व्यवसाय में वृद्धि करने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
ऊँ घृणिः सूर्य आदिव्योम।।

अपने शत्रुओं के नाश के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
शत्रु नाशाय ऊँ हृीं हृीं सूर्याय नमः

अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:   
ऊँ हृां हृीं सः

सभी अनिष्ट ग्रहों की दशा के निवारण हेतु सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

 ऊँ हृीं श्रीं आं ग्रहधिराजाय आदित्याय नमः

आषाढ़ शुक्ल सप्तमी पर भगवान सूर्य की उपासना करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.