फीचर स्टोरी । कृषि प्रधान राज्य छत्तीसगढ़ में बीते साढ़े तीन सालों में बहुत कुछ बदला है. कांग्रेस की सरकार बनने के बाद बतौर मुख्यमंत्री भूपेश ने खेती-किसानी पर प्राथमिकता से ध्यान दिया है. एक किसान परिवार और कृषि कार्य से जुड़े होने के नाते मुख्यमंत्री बघेल किसानों की परेशानी को बखूबी समझते रहे हैं. लिहाजा किसानों की चिंता को दूर कर उन्हें सुलभ खेती का अवसर प्रदान करना मुख्यमंत्री के लिए सबसे पहला काम था. मुख्यमंत्री पद की शपथ के साथ भूपेश बघेल ने यही काम सबसे पहले किया. किसानों क ऋण मुक्त किया. किसानों के सर कर्ज बोझ उतारने और कम करने के साथ उन्हें खेती की ओर और उन्नत खेती की ओर प्रोत्साहित किया. मुख्यमंत्री ने किसानों से किए उस वादे को भी पूरा किया जिससे को उनके उत्पादन का सही मूल्य मिल सकें. वादा था 25 सौ रुपये में धान खरीदी का.
आज बतौर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब अपने कार्यकाल के चौथे वर्ष को खत्म करने की ओर बढ़ चुके तब उनके सामने छत्तीसगढ़ का वो कृषि मॉडल, वो ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मॉडल भी है जिसकी चर्चा प्रदेश ही अब देश में भी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी योजनाओं, नीतियों से न सिर्फ किसानों को चिंता मुक्त किया, बल्कि एक मतबूत कृषि-ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ छत्तीसगढ़ को तेजी से प्रगति करने वाले राज्यों की श्रेणी में काफी आगे ले जाकर खड़ा भी किया.
इस रिपोर्ट में कुछ किसानों की कहानी है. उन किसानों की जो खेती करते हैं और अब और मजबूती के साथ खेती कर आगे बढ़ रहे हैं. यह कहानी चिंता मुक्त किसानों की. यह कहानी उन किसानों की, जिनके लिए किसानी सुलभ होती जा रही है.
कर्जमाफी से टेंशन दूर, अब आनंद भरपूर
उत्तर छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले के बुंदेली निवासी ये हैं किसान चरकू राम. माइक पकड़े चरकू राम बहुत असानी से अपनी खेती-किसानी की कहानी सुनाते हैं. तनाव मुक्त होकर अब जीवन यापन कर रहे हैं. चरकू भी उन लाखों किसानों में से एक थे, जिनके ऊपर खेती का सरकारी कर्ज था. लेकिन कर्जमाफी के बाद अब चरकू टेंशन दूर हो चुका है. चरकू ने कोरिया जिले में आयोजित भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को जानकारी दी थी कि उन्होंने 156 क्विंटल धान बेचा था. समर्थन मूल्य धान खरीदी से तीन लाख रुपये मिले थे. वहीं राजीव गांधी किसान न्याय योजना से चार किस्तों में 93 हजार और रुपये मिले थे. खेती को और उन्नत बनाने उन्होंने अब ट्रैक्टर भी खरीद ली है. मौजूदा वर्ष उन्होंने 152 क्विंटल धान बेचा था. इससे समर्थन मूल्य के दो लाख 95 हजार रुपये मिले और किसान न्याय योजना की पहली किस्त 93 हजार रुपये. सरकार की योजना अब खेती-किसानी काफी हद तक आसान हो गई है. 1 लाख रुपये तक कर्ज माफी और न्याय योजना से 25 सौ रुपये तक धान की खरीदी होने बीते कुछ वर्षों में फायदेमंद रहा है.
कल्याण का कल्याणमय जीवन
हाथों में माइक लेकर खड़ा यह शख्स कल्याण सिंह है. ग्राम नेवरी का किसान कल्याण सिंह. कल्याण सिंह का जीवन अब कल्याणमय है. करीब 50 एकड़ में खेती करने वाले कल्याण सिंह अपनी सफलता की कहानी सुनाते हुए खुश भी होते हैं और भावुक भी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि कैसे राजीव गांधी किसान न्याय योजना और कर्ज माफी वह अब चिंता मुक्त होकर किसानी की ओर आगे बढ़ते चले जा रहे हैं. उन्होंने 487 क्विंटल धान बेचा. इससे समर्थन मूल्य पर उन्हें 9 लाख 50 हजार रुपये मिले, जबकि न्याय योजना के तहत 1 लाख 88 हजार रुपये अतिरिक्त मिले. इन पैसों से अब उन्होंने खेती के व्यवसाय को और बेहतर बनाने के लिए मल्टीग्रेन थ्रेसर खरीदा है. खेती आधारित सरकार की अन्य कई योजनाओं का लाभ लेकर वह एक प्रगतिशील किसान बन चुका है.
जयनाथ अब तरक्की के साथ
ये हैं किसान जयनाथ राम. जशपुर जिले ग्राम लुईकोना निवासी जयनाथ की चिंता दूर हो गई है. जयनाथ को अक्सर ये चिंता रहती थी कि बीज, बोवाई, जुताई के समय खर्च की पूर्ति कैसे होगी ? यह चिंता राजीव गांधी किसान न्याय योजना ने दूर कर दी है. किस्त में मिलने वाली राशि से सही समय पर जरूरत की पूर्ति हो जाती है. जयनाथ का मानना है राजीव गांधी किसान न्याय योजना लागू कर मुख्यमंत्री ने किसानों को बड़ा फायदा पहुंचाया है. उन्होंने खरीफ वर्ष 2021-22 में 132.40 क्विंटल धान सहकारी समिति में विक्रय किया है. जिसका उन्हें कुल 2,56,856 रुपये धान विक्रय के समय ही मिल गया था एवं योजना के तहत अंतर की राशि का 24,118 रुपए प्रथम किश्त के रूप में उनके खाते में प्राप्त हुए है. उन्होंने बताया कि प्रोत्साहन राशि मिल जाने से उन्हें रबी एवं खरीफ फसल की तैयारी करने, खाद बीज खरीदारी करने में सुविधा होती है। प्राप्त राशि का वे अपने घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति करने के साथ ही अपने खेतों में दोहरी फसल व मौसमी सब्जी का उत्पादन करने में भी उपयोग करते हैं.
गोधन से बरस धन, जैविक खेती में लगा मन
राज्य सरकार की गोधन न्याय योजना का बड़ा असर खेती-किसानी पर भी पड़ा है. गोधन से धन भी बरस रहा और जैविक खेती पर अब किसानों का मन भी लग रहा है. ग्राम तांदुल निवासी किसान केशव लाल टंडन बताते हैं कि उन्होंने 4 एकड़ में जैविक खेती की शुरुआत कर दी है. जैविक खेती मौजूदा दौर में बहुत जरूरी है. इससे धरा के साथ इंसान भी सेहतमंद रहेगा. सरकार की ओर से जैविक खेती को बढ़ावा भी दिया जा रहा है.
सुगंधित खेती को भी मिला प्रोत्साहन
राज्य सरकार की ओर से सुगंधित धान की खेती के साथ ही तिल, मुंग, धनिया, चना जैसे कई फसलों की खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है. सरकार दलहन-तिलहन की खेती करने वाले किसानों को विशेष छूट भी प्रदान कर रही है. सुंगधित धान की खेती करने वाले किसान श्याम बघेल बताते हैं कि उन्होंने 9 एकड़ में सुगंधित धान की खेती की और जैविक खाद का इस्तेमाल किया. इससे खेती की उर्वरा शक्ति में वृद्धि हो रही है.
इसी तरह से अभनपुर तहसील के ग्राम परसदा निवासी किसान सीताराम साहू राजेन्द्र कस्तूरी धान की खेती करते हैं. इससे काफी फायदा हुआ है. सीताराम मानते हैं कि खेती को अच्छा और सेहतमंद बनाना है, तो जैविक खेती जरूरी है. भले ही जैविक खेती करना अभी महंगा जान पड़ता हो या किसानों को कठिन लगता हो, लेकिन भविष्य जैविक खेती का ही है. इससे खेती आने वाले दिनों में सुलभ होती जाएगी. सरकार की योजनाएं इसमें कारगर भी साबित हो रही है.
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