अंकुर तिवारी, बस्तर। झारखण्ड-छत्तीसगढ़ की सीमा पर सक्रिय रहने वाला खूंखार मोस्ट वांटेड नक्सली नेता अरविंद की मौत की खबर है. अलग-अलग जगहों से आ रही खबरों के मुताबिक दिल का दौरा पड़ने से अरविंद की मौत हुई है. सूत्रों के मुताबिक अरविंद बीते कई सालों से बीमार चल रहा था. उसे शुगर की बीमारी थी और चलने-फिरने में असमर्थ हो गया था. वह अपने साथी सदस्यों के सहारे ही चल-फिर पाता था. जैसी खबर आ रही उसके मुताबिक सुबह तकरीबन 10 बजे अरविंद की मौत हुई है.

हालांकि इस खबर की पुष्टि नहीं हो पा रही है. फिलहाल छत्तीसगढ़ से लेकर उड़ीसा, झारखण्ड कहीं से भी अधिकारी पूरी तरह यह नहीं बता रहे हैं कि अरविंद की मौत हो गई है. लेकिन जैसी खबरें आ रही है उसमें अधिकारिक सूत्र यही बता रहे हैं कि दिल का दौरा पड़ने से अरविंद की मौत हुई है. वैसे भी बड़े नक्सली नेताओं की मौत की सही खबरें अक्सर पूरी सच्चाई के साथ नहीं आ पाती. हो सकता यह अफवाह भी हो.

ये है नक्सली नेता अरविंद का प्रोफाइल-

माओवादियों का शीर्ष नेता अरविंद हमेशा दौ सौ हथियारबंद नक्सलियों से घिरा रहता.
अरविंद माओवादियों के पोलित ब्यूरो का मेंबर था.
अरविंद पर 1 करोड़ का इनाम था.
पांच राज्यों का मोस्टवांटेड भी.
वर्ष 2010 के बाद झारखंड में संगठन को मजबूत बनाने की जिम्मेवारी पोलित ब्यूरो के सदस्यों ने अरविंद को दी गई.
संगठन का बेस कैंप ओड़िशा और गुमला की सीमा पर स्थित एक ऊंचे बूढ़ा पहाड़ पर तैयार किया.
बूढ़ा पहाड़ के ऊपर पानी की सुविधा है और इलाका अपने भौगोलिक कारणों से काफी सुरक्षित भी है.
अरविंद जब बाहर निकलता, तो उसकी सुरक्षा में नक्सली 100 मीटर की दूरी पर खड़े रहते.
इस वजह से पुलिस के आने की भनक अरविंद को पहले ही मिल जाती.