कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने गुना के सिसरी गांव से लापता नाबालिग लड़की का पांच साल बाद भी सुराग नहीं लगने पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों समेत विवेचना करने वाले कर्मियों को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा है कि अब इस मामले को लंबा नहीं खींचा जा सकता है। ऐसे में 25 जुलाई तक अंचल के आईजी और गुना एसपी सहित अन्य अधिकारी बताएं कि लड़की जिंदा है या उसकी मौत हो चुकी है? और जांच में किसी ने लापरवाही बरती है तो उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।

बता दें कि तीन एसआईटी बनाने और उन्हें भंग करने के बावजूद नाबालिग लड़की का अब तक सुराग नहीं लगा है। यह लड़की पिछले पांच सालों से लापता है। उसके पिता ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई, लड़की को खोजने के लिए गुना पुलिस ने तीन बार एसआईटी बनाई और तीन बार भंग कर दी, जिसके चलते आईजी ग्वालियर रेंज डी श्रीनिवास वर्मा सहित गुना के एसपी पंकज श्रीवास्तव, तीन एसआईटी प्रभारी एसडीओपी और थाना प्रभारी सहित अन्य पुलिस कर्मियों को सुनवाई के दौरान तलब किया गया। हाईकोर्ट ने तत्कालीन थाना प्रभारी अभय प्रताप सिंह और टीएस बघेल के खिलाफ तो यहां तक टिप्पणी की कि उन्होंने पुलिसिंग के अपने वचन को नहीं निभाया। इसलिए उन्हें कंपलसरी रिटायरमेंट देना चाहिए और उन पर हैवी कॉस्ट भी लगानी चाहिए।

हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि यह मामला किसी हाई प्रोफाइल व्यक्ति से जुड़ा होता तो भी क्या पुलिस इसी तरह की लापरवाही बरतती। आपको बता दें कि मामला सिसरी गांव की लापता नाबालिग लड़की से जुड़ा हुआ है। इस लड़की को अगवा करने का आरोप दो युवकों पर लगा था। पहले युवक पर लड़की के अपहरण का आरोप लगा था, लेकिन पुलिस ने कंप्लायंस रिपोर्ट में 2019 में बताया कि उसे एक अन्य युवक ने मारा है, लेकिन पुलिस ने उस पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं की। दूसरे आरोपी ने तो यहां तक पुलिस पूछताछ में बताया था कि उसने लड़की के साथ दुष्कर्म किया था और उसकी लाश को जमीन में गाड़ दिया था, लेकिन लाश रिकवर नहीं हो सकी थी। खास बात यह है कि 1 अगस्त 2017 को लापता हुई लड़की के मामले में उसके परिवार ने संदेहियों के नाम स्पष्ट एफआईआर दर्ज कराई थी। बावजूद इसके उन्हें डेढ़ महीने तक गिरफ्तार नहीं किया गया। पुलिस जांच के नाम पर अधिकारी और कर्मचारी औपचारिकताएं करते रहे। अब कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को कड़ी फटकारल लगाई है।

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