पंकज सिंह भदौरिया,दंतेवाड़ा. छत्तीसगढ़ में आज भी कई ऐसे गांव है जहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. इन गांवों में न तो बिजली है और न ही पानी है. इसके अलावा इन गांवों में सड़कों का भी अभाव है. जिसके चलते यहां के मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है.

ऐसी ही दिक्कतें दंतेवाड़ा के बुरगुम गांव के रहने वाले कैथेरटर नामक रोग से पीड़त मरीजों को आ रही है. जिसे हर तीन महीने में उपचार के लिए खाट को उल्टी कर उसमें लेटाकर मीलों दूर समेली गांव स्थित अस्पताल उपचार के लिए ले जाना पड़ता है. इस दौरान मरीज के परिजन नदी,तालाब, पहाड़ को पार करते हुए मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचते हैं. क्योंकि यह जगह सड़क विहीन है. जिसके चलते इन रास्तों पर एम्बुलेंस नहीं आ सकती है. इस मरीज को हर तीन महीने में इसी तरह उल्टी खाट में लेटाकर अस्पताल लाया जाता है. बताया जा रहा है कि यह मरीज तीन साल पहले पेड़ से गिर गया था, जिसके बाद उसकी कमर की हड्डी टूट गई थी. जिसका इलाज अब तक जारी है.

इसके अलावा अन्य मरीजों को भी इसी तरह से अस्पताल लाया जाता है. कई बार तो कुछ मरीज गंभीर अवस्था में सही समय पर अस्पताल नही पहुंच पाते हैं जिसके चलते उनकी मौत भी हो जाती है. इसके बाद भी अब तक न तो स्वास्थ्य विभाग ने इस ओर कोई ध्यान दिया है और न सरकार ही इसे लेकर गंभीर है.

राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में चहुमुंखी विकास के दावे किये जाते हैं. सरकार की हर योजना का लाभ प्रदेश के अंतिम छोर के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने की बात प्रदेश के मुखिया करते नहीं थकते हैं. लेकिन इसके बाद भी प्रदेश में ऐसा होता दिखता नहीं है. प्रदेश में आज भी कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां वाहन तो छोड़ो पैदल चलने लायक भी सड़क नहीं है और ऐसे में उन लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है जो बीमार हैं या फिर चल नहीं पाते हैं. इन क्षेत्रों में बीमार लोगों की मदद के लिए 108 और 102 की सुविधायें भी नहीं पहुंच पाती हैं. क्योंकि इन क्षत्रों में आजादी के 6 दशक से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी अब तक सड़क का निर्माण नहीं कराया जा सका है. जो थोड़ी ब​हुत सड़क का निर्माण इन क्षेत्रों में कराया भी गया था तो उसे भी नक्सलियों ने उड़ा दिया. जिसके बाद अब यहां के बीमार और चलने में असमर्थ लोगों को उनके परिजन खाट को उल्टी कर उसमें लेटाकर अस्पताल तक पहुंचते हैं.