शेख आलम. धरमजयगढ़. धर्म से मुस्लिम लेकिन मकसद केवल एक और वह है प्यार. प्यार भी किससे, गाय से. गाय कभी नफरत की वस्तु हो ही नहीं सकती, गाय तो प्रेम का दूसरा रूप है, इसी संदेश को लेकर गौ सेवा सद्भावना पदयात्रा याने पूरे भारत की पैदल परिक्रमा पर निकले मोहम्मद फैज आज धरमजयगढ़ पहुंचे. फैज ने धरमजयगढ़ वासियों को गौ सेवा का संदेश दिया. लोगों में गौ माता के प्रति प्रेम और सद्भावना की जागरूकता के लिए लोगों से मिलकर बातचीत करते हुए पैदल परिक्रमा पर आगे बढ़ते रहे.

मोहम्मद फैज ने कहा कि गाय का हमारे जीवन में सर्वाधिक महत्व है. इस संदेश को जन-जन तक पहुँचाना आज जरूरी सा हो गया है. फैज ने आगे कहा कि सभी धर्म समुदाय के लोग प्रेम और अहिंसा पर सच्ची श्रद्धा बनाये रखें. उन्होंने आगे कहा कि वेद में गाय को विश्व की माता कहा गया है. इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मोहम्मद पैगम्बर साहब ने फ़रमाया है कि गाय की दूध में शिफा है. गाय की घी दवा है. गाय की मांस बिमारी है.

फैज ने आगे कहा कि ईसा मसीह का जन्म गौशाला में हुआ. भगवान श्रीराम जी का जन्म गौकृपा से हुआ. इस तरह तमाम नबी, पैगम्बर, अवतार, फ़क़ीर, सूफी, संत सबके जीवन में किसी ना किसी प्रकार से गाय का महत्व रहा है. मोहम्मद फैज ने बताया कि इन्हीं कुछ मकसदों के साथ यह गौसेवा सद्भावना पदयात्रा कर रहा हूँ. हम चाहते हैं कि गाय के नाम पर नफरत, हिंसा और दंगा बंद होना चाहिए. गाय के नाम राजनीतिकरण ना हो. गाय तोड़ने का नहीं बल्कि एक दूसरे को जोड़ने का विषय है.

आपको बता दें कि मोहम्मद फैज खान रायपुर से हैं. फैज ने 24 जून 2017 से लद्धाख से पूरे भारत की पैदल परिक्रमा की शुरुआत की है. 38 साल के फैज खान राजनीति विज्ञान के कॉलेज लेक्चचर थे. जिन्होंने पांच साल पहले सरकारी कॉलेज की नौकरी छोड़ कर पूर्णकालिक गौ सेवा में अपने को लगा दिया है. मोहम्मद फैज अब तक देश भर में 500 से अधिक गौ कथाएं व व्याख्यान कर चुके हैं. फैज खान गाय और इस्लाम पर एक पुस्तक भी लिख चुके हैं.

साथ ही आपको यहाँ यह भी बता दें कि मोहम्मद फैज अभी तक 5000 किलोमीटर की दूरी तय कर चुके हैं. फैज को लगभग 12 हजार किलोमीटर की दूरी तय करना है. फैज का कहना है कि वे ये दूरी दो वर्षों में पूरा कर लेंगे. मोहम्मद फैज गौ सेवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक भी हैं.