पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। रिटायरमेंट के पांच दिन पहले ट्राइबल डिपार्ट के नामचीन बाबू साहब जाते जाते एक बड़ा खेला कर दिया, जिसके पूरे खेल पर कलेक्टर प्रभात मलिक ने पानी फेर दिया. बताया जा रहा है कि विभागीय टेंडर कार्य में “खेला” कर गए थे. 53 लाख के 9 कार्य का गुपचुप तरीके से टेंडर निकला और हड़ताल अवधि में ही चहेते ठेकेदारों को प्रपत्र जारी हो गया. अन्य ठेकेदारों की शिकायत के बाद कलेक्टर ने निविदा निरस्त कर दिया. इतना ही नहीं ये भी जानकारी मिली है कि नामचीन बाबू ने नौकरी की अवधि बढ़ाने के लिए लाखों में सेटिंग की है. बताया जा रहा है कि नौकरी की अवधि बढ़ाने के लिए फाइल बड़े साहबों तक पहुंच गई है. चढ़ावा मिल गया है.
दरअसल, कलेक्टर प्रभात मलिक ने आदिवासी विकास विभाग द्वारा छात्रावास और आश्रम मरम्मत के लिए जारी 55 लाख के 9 कार्यों को निरस्त कर दिया है. आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त ने निविदा निरस्त की जानकारी सूचना बोर्ड में चस्पा किया है. उक्त कार्य के लिए 24 जुलाई को निविदा का प्रकाशन कराया गया था. प्रकाशन के बाद शॉर्ट टाइम में ही निविदा प्रपत्र ले जाने की अंतिम तिथि 26 जुलाई रखा गया था.
25 जुलाई से 29 जुलाई तक विभाग के नियमित सारे अफसर बाबू हड़ताल में थे. हड़ताल के बावजूद 26 जुलाई को दफ्तर से गिनती के कुछ ठेकेदारों को निविदा प्रपत्र जारी किया गया था, जबकि ज्यादातर ठेकेदारों को हड़ताल खत्म होने के बाद ही कार्रवाई शुरू करने का झांसा दिया गया.
मामले में “खेला” होने की भनक लगते ही 27 जुलाई को ठेकेदारों के एक प्रतिनिधि मण्डल कलेक्क्तर के पास पहुंच गए. प्रतिनिधि मंडल ने दफ्तर के नामचीन बाबू साहब का नाम लेते हुए चहेते को नियम विरुद्ध निविदा प्रपत्र देने का आरोप लगाया.
प्रपत्र जारी करने वाले सविंदा कर्मी द्वारा नामचीन बाबू के इशारे पर प्रपत्र जारी करने की बात बताई. ठेकेदारों ने यह भी आरोप लगाया कि टेंडर ऑनलाइन जारी किया जाना था, लेकिन ऑफलाइन किया गया. 24 जुलाई को निविदा प्रकाशित ऐसे अखबार में कराया गया, जिस पर ज्यादातर लोगों की नजर नहीं पड़ती.
निविदा प्रकाशन और अंतिम तिथि में कम से कम 8 से 10 की अवधि दी जाती है, लेकिन जानबूझ कर दो दिन का समय दिया गया. वह भी पूर्वनियोजित हड़ताल अवधि का समय चुना गया. मामले की लिखित शिकायत ठेकेदार नादिर कुरैशी ने विधायक अमितेष शुक्ला से भी किया था.
मामले में विभाग के सहायक आयूक्त बद्रीनाथ सुखदेवे ने कहा कि हड़ताल अवधि में निविदा जारी होने के कारण कलेक्क्तर के अनुमोदन से निरस्त किया गया है. चूंकि निविदा प्रकाशन की प्रक्रिया हड़ताल तिथि घोषित होने से पहले प्रकाशन के लिए जारी कर दिया गया था. बाबू पर लगे आरोपों को हंस कर टालते हुए अफसर ने कहा कि आइए फिर इस पर बात करेंगे.
15 वर्षों से जमे बाबू का किया धरा
नाम न छापने की शर्त पर ठेकेदारों ने बताया कि ट्राइबल डिपार्टमेंट में विगत 15,16 साल से एक बाबू जमे हुए हैं. अधिकारी बदलते रहते हैं, लेकिन विभाग का कमाऊ पुत्र के नाम से जाने जाने वाले बाबू सभी अफसर के करीबी बन जाते थे. ठेका काम में बाबू साहब का सारा दखल रहता है. उनका रिटायर्ड जुलाई महीने के अंतिम तारीख को था, लेकिन वे जाते जाते भी गड़बड़ी करने से नहीं चुके.
विभाग का मोह छूटा नहीं, एक्सटेंशन के जुगाड़ में लग गए बाबू साहब
बताया जा रहा है कि बाबू साहब का एक सुपुत्र इंटर कॉलेज में पढाई कर रहा है. अध्यनरत छात्र के नाम से एक फर्म का पंजीयन कराया गया है, जो उनके करीबी ठेकेदार के साथ मिलकर झोलझाल करते हैं. आरोप लगाया गया है कि गरियाबंद में फले फूले बाबू यंहा से जाने की मंशा नहीं रखते. रिटायर्ड के तत्काल बाद उन्होंने 11 माह के एक्सटेंशन की मांग की. संविदा के जरिए फिर से बाबू की कुर्सी पर बैठने के लिए फाइल चलवा रहे हैं.
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