कवर्धा. जिले की राजनीति में इन दिनों उथलपुथल जारी रही है. कुछ दिनों पहले ही जहां नगरपालिका के 7 पार्षदों ने इस्तीफा दे दिया था. वहीं अब चुनाव नजदीक आते ही सांसद ने जिले में अपना प्रतिनिधि बनाकर राजनीतिक विस्तार किया है.

इसे कांग्रेस ने चुनावी स्टंट मानते हुए चुटकी ली है. कांग्रेस का कहना है कि सांसद को कवर्धा जिले में अपना प्रतिनिधि बनाना ही था तो चुनाव के ठीक बाद बनाना था लेकिन तीन साल बाद विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सांसद प्रतिनिधियों की लिस्ट जारी करना चुनावी पैंतरेबाजी लग रही है.

वहीं भाजपा का कहना है कि राजनांदगांव कवर्धा लोकसभा सीट काफी बड़ी है, जिसके कारण जनता तक सीधे पहुंचने तथा शासन की योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए प्रतिनिधियों को जिम्मेदारी सौंपी है. दो माह पहले भी सांसद ने प्रतिनिधियों की लिस्ट जारी की थी, जिसके बाद दो दिन पहले ही नयी लिस्ट जारी की गई है. जिसमें कुछ के क्षेत्र विस्तृत किये हैं तो कुछ के क्षेत्र को कम किया गया है. यह भी चुनावी रणनीति का एक हिस्सा ही है.

बता दें कि कवर्धा मुख्यमंत्री का गृह जिला है जहां लंबे समय से भाजपा जितनी अनुशासित नजर आती थी उतनी ही सक्रिय भी, इसके ठीक विपरीत कांग्रेस सक्रियता के मामले में भाजपा से पीछे ही थी और उसमें आपसी विवाद आए दिन देखने को मिलता था लेकिन चुनावी साल में यह स्थिति बदली-बदली नजर आ रही है.

इन दिनों कांग्रेस नेता मो.अकबर जिले में काफी सक्रिय हो चुके हैं, हर वार्ड में लगातार बैठक लेकर नए पुराने कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं. मंदिरों में भी जाने से नहीं चूक रहे हैं. आपसी विवाद लगभग थम सा गया है. वहीं भाजपा में राजनीतिक उथलपुथल जारी है. अचानक तीन साल बाद सांसद प्रतिनिधियों की लिस्ट जारी करना चर्चा का विषय बना हुआ है.

राजनांदगांव-कवर्धा लोकसभा क्षेत्र काफी बड़ा है, ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा था कि सांसद अभिषेक सिंह चुनाव के बाद ही कवर्धा जिले में अपना प्रतिनिधि नियुक्त करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. तीन साल तक किसी को भी प्रतिनिधि नियुक्त नहीं किया गया लेकिन चुनावी दौर में सांसद ने अपने कार्य क्षेत्र बढ़ाते हुए लगभग दो माह पहले ही जिले में चार भाजपा कार्यकर्ताओं को अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया है, जिसके तहत चारों जनपद एवं नगर पालिका का जिम्मा प्रतिनिधियों को सौंपा था. जिसे दो माह बाद फिर फेरबदल करते हुए कुछ प्रतिनिधियों के कार्यभार को बढ़ाया गया है तो वहीं कुछ की जिम्मेदारी कम कर दी गई है.

पूर्व में जहां जसविंदर बग्गा को कवर्धा की जिम्मेदारी दी गई थी, वहीं अब उन्हें नगर पालिका तक ही सीमित कर दिया गया है, वहीं पांडातराई के कांति गुप्ता को पहले पंडरिया जनपद का जिम्मा दिया गया था जिन्हें अब पंडरिया एवं पांडातराई नगर पंचायत एवं जनपद पंचायत दोनों का जिम्मा दिया गया है. वहीं शिववकुमार पटेल को लोहारानगर पंचायत एवं जनपद की जिम्मेदारी थी, जिसे कम करते हुए कवर्धा जनपद तक सीमित कर दिया गया है. विदेशी राम पटेल की जिम्मेदारी में कोई फेरबदल नहीं किया गया है. जबकि सहसपुर लोहारा के लिए विनोद बैस को जिम्मेदारी सौंपी गई है. अब तक सहसपुर लोहारा को शिवकुमार पटेल संभाल रहे थे. नए फेरबदल में जहां जसविंदर बग्गा के कार्यक्षेत्र को सीमित किया गया है, वहीं विनोद बैस को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है, क्येांकि सहसपुर लोहारा में भाजपा शुरू से ही कमजोर रही है. इस क्षेत्र में कांग्रेस काफी समय से मजबूत रही है.