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दुर्ग। सुराजी ग्राम योजना के माध्यम से ‘महिला समूह’ बनाकर महिलाएँ आत्मनिर्भर हो रही है. नरवा योजना के माध्यम से बरसात के पानी को संरक्षित कर खेतों में सिंचाई के लिए उपयोग किया जा रहा है. जैविक खेती से बंजर होती भूमि की उर्वराशक्ति को फिर से उपजाऊ बनाया जा रहा है. आज 2 रुपए किलो गोबर से किसान अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहे हैं, वहीं रसायनिक खाद पर निर्भरता कम हुई है. यह बात साइंस कॉलेज में समाजशास्त्र शोधकेन्द्र की शोध निर्देशक एवं वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डाॅ. सपना शर्मा सारस्वत के निर्देशन में किए शोधार्थी एस कुमार के शोध में निकलकर आई है.
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पूरे प्रदेश में अपनी पहचान स्थापित करने वाले ‘ए प्लस’ ग्रेड प्राप्त शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्वशासी महाविद्यालय ने ‘शोध कार्य’ के क्षेत्र में निरंतर अपनी गुणवत्ता प्रदर्शित की है. महाविद्यालय के समाजशास्त्र शोधकेन्द्र की शोध निर्देशक एवं वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डाॅ. सपना शर्मा सारस्वत ने छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी पर शोधकार्य के जरिए लोकजीवन की महत्वपूर्ण विषयवस्तु को प्रतिपादित किया है.
शोधार्थी छात्र एस. कुमार ने बताया कि वे ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े हैं, और समाजशास्त्र विषय में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के बाद उनकी इच्छा छत्तीसगढ़ के लोकजीवन पर शोध कार्य करने की हुई. उन्होंने साइंस काॅलेज के समाजशास्त्र विभाग की प्राध्यापक डाॅ. सपना शर्मा सारस्वत से जब मिलकर शोधकार्य के लिए मार्गदर्शन मांगा तो उन्होंने नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी पर शोधकार्य करने के लिए प्रेरित किया.
राजनांदगांव जिले का किया चयन
एस कुमार वर्ष 2019 से इस पर कार्य कर रहे हैं. उन्होंने इसके लिए अपने गृह जिले राजनांदगांव का चयन किया. जिले के 3 विकासखण्डों – छुईखदान, खैरागढ़ और राजनांदगांव के 10-10 ग्रामों को कार्यक्षेत्र बनाया, जहां शासन की सुराजी ग्राम योजना संचालित होती है. इन ग्रामों के आदर्श गौठानों, स्वसहायता समूह एवं बाड़ी से 150-150 लाभार्थियों से निर्देशन पद्धति के तहत प्रश्नावली के जरिए बातचीत की और योजना के प्रति विचारों को शोध में शामिल किया.
ग्रामीण जीवन का अहम हिस्सा
एस कुमार ने अपने शोधकार्य का निष्कर्ष बताते हुए कहा कि यह शोध ग्रामीण परिवेश व लोकजीवन से जुड़ा होने के कारण पर्यावरण संरक्षण का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, इसमें वर्मी कंपोस्ट खाद-निर्माण, महिलाओं के स्वावलंबन, पशुओं के संरक्षण तथा मृदा संरक्षण की दिशा में सार्थक प्रयास है. घुरवा और बाड़ी ग्रामीण जीवन का अहम हिस्सा है, इसके माध्यम से पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियाँ लगाकर हम ग्रामीण समाज की एक बड़ी आवश्यकता की पूर्ति करते हैं.
उद्देश्य में सफल रहा शोधकार्य
एस कुमार ने बताया कि उनका शोध ग्रंथ 6 अध्याय में हैं, तथा इसके 2 शोधपत्र उच्चस्तरीय शोधपत्रिका में प्रकाशित हो चुके हैं. भविष्य में शोधग्रन्थ को प्रकाशित कराने की इच्छा रखते है. शोधकार्य की निर्देशक डाॅ. सपना शर्मा सारस्वत ने शोधकार्य की सराहना करते हुए कहा कि लोकजीवन पर शोध आज की आवश्यकता है. इसे तब गौरव मिला जब हेमचंद यादव विश्वविद्यालय द्वारा प्रथम शोधकार्य के रूप में मूल्यांकित कर पीएचडी उपाधि प्रदान की. मुख्यमंत्री की विभिन्न कल्याणकारी तथा किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं में नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी सफल और लोकोपयोगी योजना साबित हुई है. हमारे शोधकार्य का भी यही उद्देश्य है कि हम शासन की योजनाओं की उपयोगिता और महत्व को जन-जन तक पहुचाएं.
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