कोलंबो। आर्थिक संकट से घिरे श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर अपने कथित सर्वे जहाज को भेजकर सियासी भंवर में डालने के बाद अनुचित बयानबाजी पर चीनी राजदूत को लंका में भारतीय दूतावास ने काफी खरी-खरी सुनाई है. भारतीय दूतावास ने चीनी राजदूत के बयान को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यह बयान बुनियादी राजनयिक शिष्टाचार का उल्लंघन है. चीनी राजदूत का नजरिया भारत के बारे में उनके अपने देश के व्यवहार जैसा हो सकता है.

दरअसल, श्रीलंका में चीनी राजदूत क्यूई जेनहोंग ने कहा था कि चीन इस बात से खुश है कि श्रीलंका ने चीनी जहाज को आखिरकार हंबनटोटा में तैनात करने की इजाजत दी. इसके साथ ही भारत का नाम लिए बिना चीनी राजदूत ने कहा था कि तथाकथित सुरक्षा चिंताओं पर बाहरी रुकावट वास्तव में श्रीलंका की संप्रभुता और स्वतंत्रता में पूरी तरह से हस्तक्षेप है. इसके बाद चीन के दूतावास ने ट्वीट किया था कि ‘दूर और निकट’ के कुछ देश श्रीलंका को धमकाने के लिए विभिन्न आधारहीन बहाने बनाते हैं और श्रीलंका की संप्रभुता और स्वतंत्रता को बार-बार रौंदते हैं.

इस पर भारतीय दूतावास ने ट्वीट कर कहा कि हमने चीनी राजदूत की टिप्पणी पर ध्यान दिया है. यह बयान बुनियादी राजनयिक शिष्टाचार का उल्लंघन है. भारत के बारे में चीनी दूत क्यूई जेनहोंग का नजरिया उनके अपने देश के व्यवहार जैसा हो सकता है. पर हम उन्हें विश्वास दिलाते हैं कि भारत बहुत अलग है. इसके साथ ही चीन की नीतियों पर प्रहार करते हुए भारतीय दूतावास ने कहा कि अस्पष्टता और कर्ज से प्रेरित एजेंडा अब एक बड़ी चुनौती है. खासकर छोटे देशों के लिए, हालिया घटनाक्रम एक चेतावनी है. श्रीलंका को समर्थन की जरूरत है, न कि अवांछित दबाव या अनावश्यक विवादों की.

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