भोपाल। मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार द्वारा 5 बाबाओं को राज्य मंत्री दर्जा देने के बाद चारों तरफ आलोचना हो रही है। इनमें राज्य मंत्री बनाये गए कम्प्यूटर बाबा तो एक अप्रैल से राज्य सरकार के खिलाफ नर्मदा घोटाला यात्रा निकालने वाले थे। लेकिन, सरकार ने उन्हें राज्य मंत्री दर्जा दे दिया।

कांग्रेस ने कटाक्ष किया है कि जिन विधायकों को अपनी सरकार में मंत्री बनने के अवसर नहीं मिल पा रहे हैं, वे घोटाला यात्रा निकाले तो उन्हें भी मंत्री बनने का मौका मिल जाएगा।
गौरतलब है, शिवराज सरकार ने नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल संरक्षण तथा स्वच्छता के विषयों पर जन जागरूकता का अभियान निरंतर चलाने के लिए विशेष समिति का गठन किया है। इस समिति में नर्मदानंद महाराज, हरिहरानंद महाराज, कंप्यूटर बाबा, भय्यूजी महाराज और पंडित योगेंद्र महंत को शामिल किया गया है और इन सभी को राज्यमंत्री का दर्जा भी दिया गया है। जबकि, नर्मदा संरक्षण के लिए पहले से ही कई समितियां और एनजीओ काम कर रहे हैं। जिन पर करोड़ों रुपये खर्च किये जा चुके हैं। सरकार ने 40 करोड़ खर्च कर नर्मदा यात्रा भी आयोजित की थी।

इसी नर्मदा यात्रा पर सवाल खड़े करते हुए कम्प्यूटर बाबा और महंत योगेन्द्रनाथ ने 1 अप्रैल से घोटाला यात्रा निकालकर एक एक पेड़ गिनने का ऐलान किया था। यात्रा से पहले बाबाओं ने आरटीआई के जरिये जानकारी भी जुटाना शुरू कर दी थी। 31 मार्च को इन बाबाओं की मुख्यमंत्री के साथ सीएम हाउस में एक बैठक भी हुई थी।

अब बदले सुर

राज्यमंत्री का दर्जा मिलने के बाद कंप्यूटर बाबा और योगेंद्र महंत ने कहा संतो पर सरकार ने भरोसा किया तो संत भी समाज हित में काम करेंगे। लाल बत्ती से समाज हित के काम करने में होगी सुविधा और सुरक्षा। राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त संत पर्यावरण की रक्षा का कार्य करेंगे। इधर, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के के मिश्रा ने चुटकी लेते हुए मांग की है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बताएं उनकी इन बाबाओं से क्या डील हुई है।

अब बाबाओं को ये सुविधाएं

राज्य मंत्री का दर्जा मिलने पर अब इन पांचों बाबाओं को 7500 रुपये वेतन, गाड़ी, 1000 किलोमीटर का डीजल, 15000 रुपये मकान किराया, 3000 सत्कार भत्ता, पीए, अन्य स्टाफ और सुरक्षाकर्मी मिलेंगे।