कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। ग्वालियर में पेशे से पेंटर चंदन पाल को शिक्षा से महरूम एक गरीब बच्ची की लाचारी देखी नहीं गई। उन्होंने एक स्कूल की नींव रखी, जिसमें चंदन पाल ने बच्चों को हर सुविधा मुफ्त में दी। स्कूल में आने वाले गरीब बच्चों को चंदन शिक्षा के साथ ही बस्ता, किताबें, ड्रेस और जूते मुफ्त देते हैं। पेंटरी के धंधे से कमाई कर चंदन अपने स्कूल का खर्चा चलाते रहे। साल 2008 में घोर आर्थिक तंगी में चंदन की पत्नि ने अपने गहने बेचकर स्कूल चलाया। इसके बाद साल 2013 में जब स्कूल आठवीं तक हो गया, महंगाई ने चंदन की कमर तोड़ कर रख दी। मुफलिसी के इसी दौर में बॉलीबुल के सुपर स्टार सलमान खान ने चंदन की मदद शुरु की। चंदन के स्कूल और आर्थिक हालत का पता चला तो सलमान ने चंदन के स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों की पूरी पगार देना शुरु किया। लेकिन कोरोना काल में सलमान की मदद बंद हो गई, लेकिन पेशे से पेंटर और दिल से शिक्षक चंदन फिर भी आज गरीब बच्चों के बीच बिना स्वार्थ के तन-मन और धन से ज्ञान की अलख जगा रहे हैं।

22 साल पहले ग्वालियर के चंदन सिंह पाल से एक छोटी सी लड़की मुस्कान ने एक सवाल किया कि क्या उसके जैसे गरीब घर के बच्चों को पढ़ने, लिखने और स्कूल जाने का अधिकार नहीं है। इस सवाल ने चंदन पाल को अंदर तक झकझोर दिया। चंदन पाल दिन भर में जो भी मजदूरी करते हैं उसे वह अपने स्कूल के बच्चों के लिए लगा देते हैं। एक मजदूर की बेटी जो कि पैसे न होने के कारण स्कूल नहीं जा पा रही थी, जब चंदन उससे मिला तो उसने चंदन की आत्मा को पवित्र कर दिया। मुस्कान को स्कूल में एडमीशन कराने के बाद चंदन ने यह सोचा कि हमारे समाज में एक मुस्कान नहीं है, ऐसी हजारों मुस्कान है जो पढ़ नहीं पातीं। बस इसके बाद चंदन पाल ने मुस्कान के नाम से निशुल्क मुस्कान स्कूल खोला, जहां पर गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ाई और पुस्तक ड्रेस दी जाती है। आज यह पेंटर अपने स्कूल के बच्चों पर गर्व करता है।  

चंदन पाल की कहानी किसी फिल्मी हीरों से कम नहीं है। वह न कोई पूंजीपति हैं और न ही कोई नेता, आम इंसान होने के बाद वह ऐसा काम कर रहे हैं, जो कोई भी नहीं कर सकता। चंदन पाल ने साल 2000 में मुरार के लाल टिपारा इलाके में निशुल्क स्कूल शुरु किया। किराए के मकान में पहले साल 80 गरीब बच्चों से स्कूल शुरु हुआ था। आज उनका स्कूल आठवीं तक हो चुका है, जिसमें ढाई सौ बच्चे पढ़ाई करते हैं। शुरूआत में जब इस स्कूल की आधारशिला चंदन पाल ने रखी तो लोगों ने उसे पागल तक कहा। बच्चों को पढ़ाते देख लोग चंदन पर हंसते थे, लेकिन उपहास और परेशानियों को झेलते हुए चंदन पाल ने अपने इस निशुल्क स्कूल को आगे बढ़ाया। आज यहां पर सैकडों गरीब मजदूरों और बेसहारा बच्चे पढ़ते हैं।

चंदन का संकल्प था कि वो बिना किसी सरकारी मदद के अपने दम पर ही स्कूल चलाएंगे। स्कूल में ताले पड़ने की नौबत आई तो चंदन की पत्नि मीना ने अपने जेवरात बेचकर स्कूल चलाया। पांच साल बाद साल 2013 में फिर ऐसा दौर आया कि  चंदन पाल आर्थिक रुप से पूरी तरह लाचार हो चुके थे। तकनीक के दौर में पेंटिंग का धंधा कमजोर हो गया, आमदनी इतनी नहीं थी कि स्कूल का खर्चा उठा पाए, इसी दौर में एक वीआईपी महिला इनके स्कूल में पहुंची जो सलमान खान की पीए थी। उन्होंने चंदन को बताया कि सलमान खान आपकी मदद करना चाहते हैं। इसके बाद सलमान खान का फोन आया और उन्होने चंदन पाल के इस नेक काम की प्रशंसा की और स्कूल में पढ़ाने वाले टीचरों की सैलरी की जिम्मेदारी ली और चंदनपाल के इस स्कूल में करीब 50 हजार रुपए महीना सलमान खान की तरफ से आता रहा।लेकिन कोरोना काल मे स्कूल बंद होने के बाद सलमान की तरफ से आने वाली मदद बंद हो गई। लेकिन चंदन का कहना है कि वो हर हाल में शिक्षा का अलख जलाते रहेंगे।

चंदन पाल के इस स्कूल से पिछले 20 सालों में हजारों बच्चों ने मुफ्त में तालीम हासिल की है। मुरार के कई हिस्सों से बच्चे इस स्कूल में मुफ्त पढ़ाई के लिए आतें हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ये है कि इस स्कूल में बच्चों को न सिर्फ मुफ्त शिक्षा मिलती है बल्कि यहां पढ़ाई करने वाले बच्चे बेहद होशियार माने जाते हैं। गरीब लोग अपने बच्चों को पढ़ाने वाले इस स्कूल की दिल से तारीफ करते हैं तो यहां पढ़ने वाले बच्चे भी मानते है, कि उनको यहां बेहतर तालीम मिल रही है। वहीं आठवीं के बच्चे इस बात से मायूस होते हैं कि अगले साल उनको स्कूल छोड़ना पड़ेगा।

निशुल्क मुस्कान स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक और शिक्षका चंदन पाल को प्रेरणास्त्रोत मानते हैं और उनको अच्छा लगता है कि वह भी चंदन के सहयोगी बने हैं और इस समाजिक कार्य में उनका सहयोग कर रहे है।

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