सुशील सलाम, कांकेर। सुपर हिट फिल्म नदिया के पार टाइटल रखी गई थी, वैसे ही टाइटल अब छत्तीसगढ़ के छात्र-छात्राओं के किस्मत पर छपी दिख रही है. उस रील लाइफ में हीरो पिता की जिंदगी बचाने नदी पार कर दवाई लेने जाता है और इस रियल लाइफ में प्रदेश की भविष्य बनती बेटियां और बेटे जान जोखिम में डालकर भविष्य गढ़ने जा रहे हैं.

दरअसल, नदिया के पार इन छात्र छात्राओं का स्कूल है. जहां तक पहुंचने के लिए इन्हें पैदल चलकर नदी पार करना पड़ता है. यह स्कूल कांकेर जिले के कोलर गांव का है. जहां पास के तीन गांव बड़े साल्हेभाट, डांगरा और फुलपार के बच्चे बारिश के मौसम में जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचते हैं.

नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. जहां विकास की गति धीमी है. इस क्षेत्र के बच्चे इनके माता पिता कई बार अपनी समस्याओं को जनप्रतिनिधि, अधिकारियों के सामने रख चुके हैं, लेकिन इनकी मांग अब तक पूरी नहीं हुई.

अब जनप्रतिनिधि और अफसरों की दी हुई बदनसीबी की दाग वर्षों से झेल रहे हैं. इसलिए संघर्ष करते बच्चे अपना भविष्य संवारने के लिए पैदल चलते हैं. नदी पार कर शिक्षा ग्रहण करते हैं.

बहरहाल, जोगी सरकार के तीन साल, रमन सरका के 15 साल और कांग्रेस सरकार के करीब 4 साल पूरे होने को हैं. इस बीच कई सरकारें बदलीं, सियासी चेहरे बदले, मंत्री बदले, लेकिन इन बीहड़ इलाकों की तस्वीरें नहीं बदली. आज भी बदहाली दलदल में ग्रामीण जी रहे हैं. उसी बदहाली की तस्वीरों के बीच छात्र छात्राएं भी अपनी किस्मत गढ़ने को बेबस हैं. ये तस्वीरें डिजिटल इंडिया के दौर पर करारा तमाचा से कम नहीं है.

देखिए VIDEO-

इसे भी पढ़ें-

Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus