प्रदीप गुप्ता, कवर्धा। जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता प्रभाती मरकाम ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि भोरमदेव अभयारण्य इलाके की सीमा से एक किलोमीटर तक के विस्तार तक क्षेत्र को भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य पारिस्थितिकी संवेदी जोन के रूप में अधिसूचित किया गया है. उन्होंने कहा कि इसमें 15 गांवों का नाम शामिल हैं, जो लोगों के साथ धोखा है. उन्होंने कहा कि सरकार के विधायक और वन मंडलाधिकारी जानबूझकर इन गांवों के नामों को टाइगर रिजर्व क्षेत्र में जोड़ा गया है, जो वनांचल गांव के लोगों के हितों पर कुठाराघात है.

बता दें कि इन 15 गांवों में राजाढार, रानीदाहरा, सरोदा दादर, पालक, चौरा, छेरकी कछार, मंडला कोन्हा, झरपट, बांधा, मुडवाही, बोरिया, झलमला, बोदलपानी, लहबर, समनापुर टोला शामिल है. प्रभाती मरकाम का कहना है कि विधायक कवर्धा, विधानसभा और वनमंडलाधिकारी सहित 6 आलाधिकारियों की समिति बनाई गई, जिसके द्वारा कोर और बफर जोन का निर्धारण किया गया है. इसमें केंद्र सरकार द्वारा चिन्हित किए गए पूर्व में लिखे गए 15 गांवों के अलावा चिल्फी, समनापुर, बहनाखेदरा, शिवनी कला, प्रभुझोला, साल्हावारा, लुप, लरिया, महराजपुर डीह, सौरू बोल्दा, पंडरीपानी, सुपखार, बफर जोन के लिए कोर जोन के लिए बंदुककुंदा, बालसमुंद, सिंगनपुरी, बरेंडीपानी, तुरैया बाहरा, माराडबरा, सोनवाही, दुलदुला, कुमान को शामिल कर स्पष्ट कर दिया कि रमन सरकार के विधायक और वन मंडलाधिकारी द्वारा जानबूझ कर ऊपर लिखे गए गांवों का नाम टाइगर रिजर्व क्षेत्र में जोड़ा गया है.

प्रभाती मरकाम ने ये भी कहा कि सीएम रमन सिंह, विधायक और हजारों लोगों की मौजूदगी में पिछले साल वनांचल के गांव झलमला में अक्टूबर के महीने में 204 करोड़ रुपए की लागत से चिल्फी-रेंगाखार-साल्हेवारा सड़क का पूर्ण रूप से चौड़ीकरण कर नवनिर्माण के लिए घोषणा की गई है. लेकिन वर्तमान में घोषणा के एवज में मात्र सड़क का मरम्मत कार्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जब मार्ग का चौड़ीकरण और नवनिर्माण नहीं करना था, तो मार्ग के दोनों तरफ के हरे-भरे बेशकीमती पेड़ों को क्यों काटा गया, जबकि अब सिर्फ मरम्मत किया जा रहा है, जो वनांचल के लोगों के साथ धोखा है.

उन्होंने ये भी कहा शासन-प्रशासन कूट रचना कर टाइगर रिजर्व बनाने का काम कर रहा है. इसका उद्देश्य वन एवं वनांचल जन के विकास का होना कहा जा रहा है, लेकिन वास्तविकता इससे अलग है. इस क्षेत्र को पूर्व में अभयारण्य का दर्जा दिलाकर करोड़ों रुपए खर्च किए गए, लेकिन वन क्षेत्र का रकबा लगातार घट रहा है. अरबों रुपए वन प्रबंधक समितियों की आड़ में फर्जी हस्ताक्षर कर निकाल लिए गए, जिसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा रायपुर में लंबित है.

प्रभाती मरकाम ने कहा कि अब टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित कराकर अरबों रुपए के भ्रष्टाचार को अमलीजामा पहनाने की सुनियोजित योजना है.