जांजगीर चांपा. राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एमके राउत आज जिला पंचायत के सभागार में सूचना का अधिकार विषय पर आयोजित जिला स्तरीय कार्यशाला में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि प्रशासन को पारदर्शी और जवाबदेही बनाना सूचना के अधिकार का मूल उद्देश्य  है. आम नागरिक सूचना का अधिकार के लिए शुल्क अदा किया है तो उसे समय सीमा में जानकारी उपलब्ध कराना आवश्यक है.

उन्होंने कहा कि बीपीएल का राशन कार्ड मान्य नहीं है, किन्तु नगरीय क्षेत्र के सीएमओ और ग्रामीण क्षेत्रों के आवेदन के साथ मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत द्वारा जारी प्रमाण पत्र मान्य है. बीपीएल के आवेदक को 50 पृष्ठ या 100 रुपए की जानकारी निःशुल्क देना है. अधिक पृष्ठ की जानकारी होने पर अवलोकन करने आग्रह करें. कार्यशाला में कलेक्टर जांजगीर चांपा तारन प्रकाश सिन्हा, कलेक्टर सक्ती नूपुर राशि पन्ना, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी फरिहा आलम, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सक्ती रैना जमील, अपर कलेक्टर एसपी वैद्य, राज्य सूचना आयोग के संयुक्त संचालक धनंजय राठौर भी उपस्थित थे.

कार्यशाला में मुख्य सूचना आयुक्त ने कहा कि सूचना का अधिकार के तहत आवेदक शुल्क के रुप में संलग्न नान ज्युडिशियल स्टाम्प, ई-स्टाम्प, चालान, भारतीय पोस्टल आर्डर, नगद, बैंक ड्राफ्ट के रूप में जमा करता है तो आवेदक को निर्धारित समय सीमा में जानकारी रजिस्ट्री डाक से भेंजे. जहां (विभाग) में नकल लेने का प्रावधान है, वहां आवेदक को नकल (प्रतिलिपि) के लिए आवेदन करने पत्र जरुर भेजें.

उन्होंने कहा कि आयोग के निर्णय का पालन करतें हुए जवाब अवश्य दें. एमके राउत ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम आम जनता की भलाई के लिए बनाया गया है. नागरिकों द्वारा शासकीय योजनाओं, कार्यक्रमों और कार्यों की जानकारी मांगने पर निर्धारित समय सीमा में आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराने का दायित्व हमारा है. शासकीय कार्यों, दस्तावेजों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाईट में प्रदर्शित करें , ताकि आम नागरिक को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाने की जरूरत ही ना पड़े.

राज्य सूचना आयोग के आयुक्त अशोक अग्रवाल ने कार्यशाला में स्पष्ट किया कि जनसूचना अधिकारी समय सीमा में आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराने में असमर्थ है तो आवेदक प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास अपील कर सकता है. प्रथम अपीलीय अधिकारी निर्णय देने के बाद उसे समय सीमा में कार्यान्वित कराना प्रथम अपीलीय अधिकारी का दायित्व है. उन्होंने जनसूचना अधिकारियों से कहा कि जब आवेदक सूचना का अधिकार के तहत आवेदन प्रस्तुत करता है, तो आवेदन पत्र को ध्यान से पढ़े.

उन्होंने कहा, आवेदन पत्र में एक से अधिक विषय की जानकारी चाही गई है, तो केवल एक विषय की जानकारी आवेदक को दी जा सकती है. इसी तरह सशुल्क जानकारी देने की स्थिति पर शुल्क की गणना भी आवेदक को दी जाए और आवेदक द्वारा शुल्क जमा करने के पश्चात् ही वांछित जानकारी की फोटोकॉपी  उपलब्ध  कराई जाए. सूचना आयुक्त अग्रवाल ने कहा कि जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी आयोग के नोटिस का जवाब जरूर दें, जवाब नहीं मिलने पर आयोग अर्थदंड और क्षतिपूर्ति लगा सकता है.

उन्होंने कहा कि यदि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी आपके कार्यालय से संबंधित नहीं है, तो उसे संबंधित कार्यालय को 5 दिवस के भीतर आवेदन पत्र को अंतरित किया जाए. उन्होंने कहा कि शासन और प्रशासन को पारदर्शी बनाने के लिए ही सूचना का अधिकार अधिनियम बनाया गया है. जन सूचना अधिकारी अधिनियम के नियमों और उनकी बारीकियों को समझ सकें, इसलिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है. सभी जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी आवेदक को जवाब देते समय अपना नाम स्पष्ट रूप से उल्लेख करें. साथ ही अशोक अग्रवाल ने कहा कि आवेदक को जानकारी देते समय जनसूचना अधिकारी का नाम, पदनाम का भी स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए.

राज्य सूचना आयुक्त धनवेन्द्र जायसवाल ने कहा कि सरकारी गतिविधियों को पूर्णतः पारदर्शी बनाना है. आवेदक को समय-सीमा के भीतर जानकारी दें अन्यथा निर्धारित समय-सीमा 30 दिन के बाद आवेदक को निःशुल्क जानकारी देनी होगी. धनवेंद्र जायसवाल ने कहा कि सूचना आयोग पेनाल्टी लगाने वाली संस्था नहीं है, लेकिन जानबूझकर जानकारी नहीं देने अथवा गलती करने पर जनसूचना अधिकारी पर पेनाल्टी लगाना जरूरी हो जाता है. ऐसी स्थिति से जनसूचना अधिकारी को बचना चाहिए.

धन्यवेन्द्र जायसवाल ने कहा कि हर नागरिक को जानने का मौलिक अधिकार है. सूचना का अधिकार अधिनियम सरकार के कार्यो को पारदर्शी बनाता है. इसमें पहली कड़ी जनसूचना अधिकारी हैं, इसलिए जनसूचना अधिकारी अधिनियम के तहत प्राप्त आवेदनों को स्वयं पढ़े. इससे गलती की संभावना कम होगी. इसमें जानकारी देने की समय-सीमा और शुल्क निर्धारित है. जनसूचना अधिकारी इसका विशेष ध्यान रखें. उन्होंने कहा कि एक आवेदक के आवेदन को एक से अधिक विभाग को अंतरण नहीं करना है.

कार्यशाला में राज्य सूचना आयुक्तगण और राज्य सूचना आयोग ने जनसूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय अधिकारी के प्रश्नों और शंकाओं का समाधान किया. सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की विस्तृत जानकारी प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रदर्शित किया गया. सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत इस एक दिवसीय कार्यशाला में सभी विभाग के जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी के अलावा जनपद पंचायत के जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी (मुख्य कार्यपालन अधिकारी) बड़ी संख्या में उपस्थित थे.