करप्शन वाले छापों के पीछे की कहानी
इन दिनों सीएम के निर्देश पर जमकर छापेमारी हो रही है। ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त ने ताबड़तोड़ छापे मारकर बाबुओं के घर से नोटों की गड्डियां और लग्जरी लाइफ स्टाइल के खुलासे कर रहे हैं। लेकिन इन्हीं छापेमारी के साथ एक कुनबा और सक्रिय हो जाता है। यही सीक्रेट हम खोलने जा रहे हैं। दरअसल, इन छापों में होने वाले खुलासों के बाद संबंधित महकमे के वर्तमान और पूर्व कर्मचारी-अधिकारियों से संपर्क साधना शुरू किया जाता है। उनसे दी जाने वाली सूचनाओं के बाद कुछ अधिकारी-कर्मचारी टूट जाते हैं और बचने के हर रास्ते पर अपनी सहमति जाहिर कर देते हैं। इसी में बड़े-बड़े खेल किए जा रहे हैं। यानी करप्शन खोलने के खेल में दूसरों की जेबें भी खोली जा रही हैं। यह काम दबे-छिपे जमकर किया जा रहा है। पिछले दिनों हुई कुछ छापेमारी के दौरान कुछ परेशान अफसरों ने करप्शन के इस नए खेल का खुलासा करना शुरू कर दिया है।
मंत्री के बेटे का चल पड़ा कारोबार
एक मंत्रीजी के बेटे ने अमेरिका से एक कोर्स करके लौटे हैं। जो कोर्स किया है, मंत्रीजी का महकमा भी उसी से ताल्लुक रखता है। सियासी गलियारों में यह चर्चाएं सरगर्म है कि इसे ‘अवसर’ समझा जाए या ‘संयोग’। बहरहाल, मंत्रीजी के बेटे का कामकाज और कारोबार जमकर चल पड़ा है। उन्हें विदेशी कोर्स की वजह से पूरी तवज्जो मिल रही है। कुछ ‘ज़रुरतमंद’ साहबजादे तक एप्रोच लगाने के ज़रिए तलाश रहे हैं। इसलिए कुछ दूसरे लोग भी सक्रिय हो गए हैं। साहबजादे का काम और कामकाज की जगह सरकारी बंगले से जुदा है। लेकिन कामकाज बंगले से कम भी नहीं है। चंद दिनों में साहबजादे के कामकाज ने रफ्तार पकड़ ली है। यह ज़रुर बता दें कि मंत्रीजी सरल, सहज स्वभाव के हैं। उनके दामन पर अब तक एक भी दाग नहीं लग सका है।
बिशप की जांच रोकने वाले की तलाश
करोड़ों रुपए की मिल्कियत का मालिक निकले जबलपुर का बिशप पर कोई यकायक नज़र नहीं पड़ी है। बल्कि जांच एजेंसियों को काफी पहले से इनपुट मिल रहे थे। सबसे बड़ा इनपुट यह कि बिशप के तार विदेशी धन से जुड़े हैं। ईओडब्ल्यू छापे के बाद हुए सनसनीखेज खुलासे के बाद जब मामला ईडी ने राडार पर लिया तो एक बड़ा रहस्योद्घाटन हुआ है। दरअसल, कमलनाथ सरकार के दौरान ईओडब्ल्यू ने ईडी को बिशप के बारे में मिले इनपुट और सूचनाएं ट्रांसफर कर दी थी। यहां तक कि ईडी को जांच के लिए भी लिख दिया था। उस वक्त किसी बड़े रसूखदार ने हस्तक्षेप किया और मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब केंद्र सरकार के अफसर इस तलाश में जुट गए हैं कि मामले को ठंडे बस्ते में डालने वाला ताकतवर शख्स आखिर है कौन?
नए शहरों में पुलिस कमिश्नर की चर्चा
भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम शुरू होने के बाद अफसर अलग-अलग गुटों में नज़र आ रहे हैं। आईएएस वर्सेज आईपीएस तो जगजाहिर है, लेकिन आईएएस के एक धड़े के खिलाफ दूसरे आईएएस भी लामबंद हैं। इसी तनातनी के दौर में सीएम हाउस में अब पुलिस कमिश्नरी सिस्टम को अन्य नए शहरों में भी पहुंचाने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। ग्वालियर, जबलपुर के साथ ही उज्जैन और सागर जैसे जिलों में भी इस सिस्टम को लागू कराने की पहल शुरू कर दी गई हैं। जिस तरह के तेवर सीएम के चल रहे हैं, उससे संभव है कि इसी तरह का कोई चौंकाने वाला फैसला भी कभी भी आ सकता है। इससे छोटे शहरों में नयी तरह की चर्चाएं शुरू हो सकती है और सियासी माइलेज भी लिया जा सकता है। फिलहाल चर्चाएं अंदरखाने तक सीमित हैं, देखना है बाहर कब तक आएंगी।
चीते से शिवराज की ताकत का संदेश
‘टाईगर इज़ बैक’ और ‘टाईगर अभी ज़िंदा है’ जैसे डायलॉग्स के बाद अब ‘चीता इज़ बैक’ का नारा बुलंद हो रहा है। मोदी के इस बर्थडे गिफ्ट के दौरान जो माहौल श्योपुर और पालपुर कूनो में बनाया गया उससे अंदाज़ा हो गया है कि शिवराज ‘चीते की चाल और बाज़ की नज़र’ के महारथी भी है। सीएम की कुर्सी को लेकर जब-तब होने वाली चर्चाओं को प्रोजेक्ट चीता की लांचिंग के बाद फिर से धुंआ-धुंआ कर दिया गया है। श्योपुर में जिस तरह भीड़ उमड़ी और देश भर का मीडिया कवर करने पहुंचा उसने मोदी के साथ शिवराज को भी पूरा क्रेडिट दिया। इस लांचिंग में शिवराज और मोदी के बीच की बांडिंग का नजारा देश भर की मीडिया ने देखा। जाहिर बात है, बड़े-बड़े सपने पालने वालों को फिर से अपनी कवायदों पर विचार करना शुरू करना होगा।
दुमछल्ला…
बीते दिनों कमल पटेल जब एक कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस नेताओं की हूटिंग के शिकार हुए तो बीजेपी के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र सिंह ने जवाब देने का अनोखा तरीका निकाला। उन्होंने गांधीगिरी करते हुए कमलनाथ के सामने पूरी टीम के साथ दस्तक दी। कमलनाथ को पूरे ध्यान से सुना और आखिर में कमलनाथ से मुलाकात करने मंच पर पहुंच गए। उन्होंने शालीनता से शिकायत की कि कांग्रेस ने क्या हरकत की थी और बीजेपी ने क्या किया। जाहिर है, कमलनाथ इस वक्त बीजेपी की मीडिया टीम के सामने ज्यादा बोलने की स्थिति में नहीं थी। बीजेपी की मीडिया टीम की गांधीगिरी खूब वाहवाही बटोर रही है।
(संदीप भम्मरकर की कलम से)
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