मुकेश मेहता, बुदनी (सिहोर)। आज भूतड़ी अमावस्या (Bhutadi Amavasya) है। इस मौके पर मध्यप्रदेश के सिहोर, नर्मदापुरम, हरदा, जबलपुर समेत अन्य जिलों में नर्मदा घाटों पर स्नान के लिए हजारों लोग पहुंच रहे हैं। बुदनी के रेहटी तहसील स्थित प्रसिद्ध मां नर्मदा घाट (आवलीघाट ) पर भूतों का मेला लगा है। लाखों लोग भूत उतारने के लिए जुट रहे हैं।
भूतों का मेला….जी हां! आप सही सुना। मेले तो आप ने बहुत देखे होंगे लेकिन आज आप को दिखा रहे हे भूतों का मेला। बुदनी के रेहटी तहसील स्थित प्रसिद्ध नर्मदा घाट आवलीघाट इस तट (घाट) अपना अलग महत्व है ‘नर्मदा पुराण’ में यहां का विशेष उल्लेख है।
हर साल नवरात्रि से एक दिन पहले आने बाली अमावस्या को (पितृमोक्ष patrimoksha) भूतड़ी अमावस्या कहा जाता है। यहाx दूर-दूर से लोग एक दिन पहले ही आ जाते हैं। इसी एक रात पहले भूतों का मेला लगता है, जिन के ऊपर बाहरी बाधा भूत पालित के शिकार हे उनका उपचार रात भर किया जाता है। यहां इलाज जिसके शरीर में देवी-देवता आते (पांडा ) वह करते है। सुबह स्नान के बाद भूत पालितो को मुक्ति मिलती है। लोग अपने अपने पांडा के साथ इकट्ठा हो कर पहुंचते है अपनी समस्या भूत पालित को दूर कराते है। यह स्नान के बाद वस्त्र भी यही छोड़ने की धारणा है। यहां वर्षों से चला अ रहा है। सभी लोग यहाँ से सालकनपुर विजासन देवी के दर्शन को पहुंचते हैं।
84 लाख में से एक योनि प्रेत की भी
शास्त्रों के अनुसार 84 लाख योनि में एक प्रेत योनि होती है, जिसकी अकाल मौत होती है या जिसने जीवनभर पाप किए हों, उसे प्रेत योनि मिलती है। इनकी उम्र 60 से 200 साल तक के बीच होती है। वे बताते हैं कि शास्त्रों के अनुसार भूतों का निवास अंधकार में माना गया है। उनका मानव जीवन में दखल नहीं के समान है। फिर भी कभी कोई भूत के रास्ते में आता है, तो वह इंसान हिल जाता है, लेकिन लंबे समय तक ऐसा नहीं होता।
भूतड़ी अमावस्या का ये है महत्व
भूतड़ी अमावस्या विशेष रूप से अतृप्त आत्माओं की तृप्ति के लिए होती है। आज के दिन श्रद्धालु नदी में स्नान के बाद दान करते हैं। माना जाता है कि पितरों के निमित्त तर्पण करने से भी सुख, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भूतड़ी अमावस्या प्रेत बाधाओं को दूर करने के लिए भी काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है।
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