रायपुर। जल संसाधन विभाग के सचिव सोनमणी बोरा ने विभाग के प्रमुख अभियंता एच आर कुटारे को पत्र लिखकर कुछ बातों पर कड़ी आपत्ति जताई है. इसमें महानदी के जल को ओडिशा भेजने को लेकर कई सवाल भी किए गए हैं. बोरा ने लिखा है कि छत्तीसगढ़ में बहने वाली महानदी में बने बसंतपुर बैराज के नीचे छत्तीसगढ़-ओडिशा की सीमा तक महानदी के अंतिम छोर से, ओडिशा स्थित हीराकुंड बांध की ओर प्रवाहित जल के बारे में गेजिंग डाटा हर महीने नियमित रूप से नहीं दिए जा रहे, जो बेहद आपत्तिजनक है.

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद ये पहली बार है, जब इस बात का हिसाब लिया जाएगा कि प्रदेश से ओडिशा की ओर कितना पानी जा रहा है. लंबे समय से छत्तीसगढ़ और ओडिशा को लेकर महानदी के जल को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. ओडिशा हमेशा से आरोप लगाता रहा है कि उसे छत्तीसगढ़ के बनाए बैराज स्टॉपडैम से हीराकुंड बांध के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलता है.

सोनमणि बोरा ने प्रमुख अभियंता को कई निर्देश भी दिए, जिनमें ये कुछ बिंदु शामिल हैं—

1. पोस्ट मानसून से लेकर प्री मानसून यानि जून तक हर महीने का हरेक दिन का गेजिंग डाटा, प्रमुख अभियंता ऑफिस के स्तर पर जमा किया जाए. इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी जो अधीक्षण अभियंता से नीचे का नहीं हो, उसे जिम्मेदारी सौंपी जाए.

2. ऐसे संग्रहित गेजिंग डाटा का जरूरी विश्लेषण हरेक दो महीने में किया जाए और उसकी जानकारी सरकार को दी जाए.

3. ये बात भी सामने आई है कि महानदी में निर्मित बसंतपुर बैराज के बाद ओडिशा स्थित हीराकुंड बांध की तरफ बने बैराजों में खासतौर पर कलमा बैराज में गेजिंग की व्यवस्था नहीं है, इसके लिए तुरंत व्यवस्था की जाए.

4. महानदी में निर्मित कलमा बैराज और छत्तीसगढ़-ओडिशा की सीमा के पास छत्तीसगढ़ स्थित महानदी में गेजिंग व्यवस्था होने तक बसंतपुर बैराज से लेकर छग-ओडिशा की सीमा तक ये सर्वेक्षण किया जाए कि प्रदेश के कौन-कौन से नदी-नालों का पानी, महानदी में किस स्थान पर मिलता है. साथ ही इन नदी-नालों के जल बहाव की समय-समय पर गेजिंग भी की जाए.

5. छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदी और नाले जिनका जल, कलमा बैराज के आगे जाकर ओडिशा राज्य की सीमा में स्थित महानदी या सीधे हीराकुंड बांध में मिलता है, जैसे कि केलो नदी, ईब नदी. इसमें भी छत्तीसगढ़ की सीमा में गेजिंग की व्यवस्था की जाए.

6. फिलहाल ओडिशा-छत्तीसगढ़ के बीच महानदी जल विवाद चल रहा है और इस तारतम्य में समय-समय पर महानदी कछार के जल बहाव के आंकड़ों की जरूरत होती है, इसलिए इस मामले को प्राथमिकता दी जाए.