रायपुर। ओबीसी महासभा छत्तीसगढ़ ने 10 अप्रैल 2018 के सवर्णों के भारत बन्द का पांच प्रस्ताव पारित करके विरोध किया है. ओबीसी महासभा ने बैठक ली, जिसमें कहा गया कि
2 अप्रैल 2018 को दलित समाज ने भारत बंद कराया, उसी दिन ब्राह्मण समाज ने 10 अप्रैल 2018 को आरक्षण समाप्त करने के लिए भारत बंद का ऐलान कर दिया, जिसमें सवर्ण और ओबीसी मिलकर भारत बंद करेंगे, ये घोषणा की गई और ओबीसी महासभा का नाम डाला गया. ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने ब्राम्हण समाज के बन्द में ओबीसी महासभा के नाम को जबरन घसीटने को लेकर नाराजगी व्यक्त की है और सम्पूर्ण ओबीसी समाज को 10 तारीख के बन्द में सम्मिलित नहीं होने की अपील की है.

ओबीसी महासभा छत्तीसगढ़ के संयोजक सगुन लाल वर्मा ने कहा कि 5 घंटे चली बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि सवर्णों के भारत बंद को पुरजोर तरीके से विरोध किया जाएगा.

वहीं SC-ST के लोगों से अपील किया गया है कि SC-ST एक्ट का ओबीसी के विरोध में दुरुपयोग नहीं किया जाए. ऐसी कोई घटना घटित होती है, तो अपने गांव में ही ग्रामसभा आयोजित करके मामले को निपटाया जाए. थाना-कचहरी जाने से सवर्ण लोग इस एक्ट पर राजनीति करने लगते हैं. दोनों ही पक्ष के नेता बन जाते हैं और दोनों का ही शोषण करते हैं.

उन्होंने कहा कि ओबीसी के लोगों से अपील किया गया है कि वे SC-ST के साथ छुआछूत, जाति भेदभाव, अपमान नहीं करें. ये एक कुप्रथा है. ओबीसी के लिए देश और छत्तीसगढ़ में 52% आरक्षण शिक्षा, सत्ता, संपत्ति के साथ-साथ विधानसभा और लोकसभा में भी SC-ST वर्ग की तरह राजनीति में आरक्षण दिया जाए.

ओबीसी महासभा छत्तीसगढ़ के संयोजक सगुन लाल वर्मा ने कहा कि बैठक में सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव ये पारित किया गया है कि ओबीसी के लोग अपने पारिवारिक और मांगलिक कार्यक्रम, पूजा-पाठ, जन्म-मृत्यु, नामकरण संस्कार, छठी में ब्राम्हणों को नहीं बुलाकर अपने ही जाति-समाज के पढ़े लिखे विद्वान लोगों से पूजा-पाठ कराएं, जिससे हमारे घर के लाखों रुपए बचेंगे और हमारे सभी मांगलिक कार्य भी सम्पन्न होंगे.

छत्तीसगढ़ में हमें केवल 14 फीसदी आरक्षण- ओबीसी महासभा

ओबीसी महासभा छत्तीसगढ़ के संयोजक सगुन लाल वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में SC-ST का 44% आरक्षण है. वे अपने स्थानों में राजनीति और नौकरियों में जाते हैं. हम 52% लोगों के लिए देश में 27% आरक्षण दिया गया है, लेकिन छत्तीसगढ़ में हमें मात्र 14% आरक्षण दिया गया है, वो भी कागजों पर. वास्तविकता में हमें सिर्फ 6 प्रतिशत आरक्षण ही मिल रहा है.

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की स्थिति को आप लोग देखने और समझने की कोशिश कीजिएगा कि SC+ST+OBC= 97% को 58% हिस्सेदारी मिल रही है और बाकी बचे 3% सवर्ण समाज को 42% आरक्षण बिना मांगे मिल रहा है.