भारत की संस्कृति दुनिया की अप्रतिम संस्कृति है, इसकी झलक देवालयों में नजर आती है. देश के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक ऐसे लाखों मंदिर हैं, जिसकी अपनी अलग पहचान है. इनमें से भारत में सिर्फ 6 मंदिर हैं, जिसमें कुबेर भंडारी की पूजा होती है. कहा जाता है कि धनतेरस या दिवाली के समय, जो भी इन मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंचता है, उनके ऊपर धन की बारिश होती है. Also read : दिवाली की सफाई में बाहर कर दें ये चीजें, नहीं तो मां लक्ष्मी हो जाएंगी नाराज…
हम यहां पर मध्य प्रदेश के मंदसौर और ओंकारेश्वर स्थित कुबेर भंडारी मंदिर की चर्चा कर रहे हैं. मंदसौर के मंदिर का इतिहास 600 साल पुराना है. स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर परिसर की मिट्टी को लेकर जो भी भक्त तिजोरी में रखता है, उसे धन की प्राप्ति होती है, और जीवनभर कुबेर देवता की कृपा बनी रहती है.
इस तरह ओंकारेश्वर के ब्रह्मपुरी क्षेत्र में स्थित मंदिर प्रसिद्ध है. ओंकारेश्वर बांध बनने के पहले कुबेर भंडारी का मंदिर नर्मदा और कावेरी के संगम पर स्थापित था, लेकिन जब बांध बना तो इस मंदिर के लिए शासन ने एक ट्रस्ट बनाकर ओंकार प्रसादालय के पास स्थापित कर दिया.
देश में यहां हैं अन्य मंदिर
प्रदेश में पहला मंदिर मंदसौर में और दूसरा खंडवा जिले के ओंकारेश्वर तीर्थ नगरी में स्थित है. इनके अलावा देश में पुणे-महाराष्ट्र, अल्मोड़ा-उत्तराखंड, करनाली-बड़ोदा, रत्नमंगलम-तमिलनाडु में प्राचीन मंदिर स्थित है. ये सभी मंदिर देश के तीर्थ स्थानों में अपना स्थान रखते हैं.
इसलिए है महत्व
कुबेर लंकापति रावण का सौतेले भाई और शिवभक्त था. उन्होंने नर्मदा के तट पर ही भगवान शिव की उपसना की थी. भगवान ने खुश होकर इनको धनेश होने का आशीर्वाद दिया था. माना जाता है कि इनके पास ही पुष्पक विमान था, जिसकी विशेषता यह थी कि चाहे जितने लोग बैठे, एक सीट हमेशा खाली रहती थी. लेकिन रावण ने उसे छीन लिया था. हालांकि, रावण के मरने के बाद यह विमान वापस मिल गया.
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