रायपुर ।  तेन्दूपत्ता विक्रय से मिलने वाली राशि का पूर्ण भुगतान तेन्दूपत्ता संग्राहकों को नहीं किया जा रहा है ।  पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर ने तेन्दूपत्ता विक्रय से हुई आय और तेन्दूपत्ता तोड़ाई करने वाले तेन्दुपत्ता संग्राहकों को किए गए भुगतान के आंकड़े जारी कर इस मामले का खुलासा किया है। मो. अकबर ने प्रेस कान्फ्रेंस में बताया कि छत्तीसगढ़ का तेन्दूपत्ता देश का सर्वाधिक अच्छा पत्ता माना जाता है।  2018 के सीजन के तेन्दुपत्ता का अग्रिम निविदा द्वारा विक्रय से औसत दर 5847 रुपये प्रति मानक बोरा आया है, परन्तु तेन्दूपत्ता संग्राहकों को केवल 2500/- रूपये प्रति मानक बोरा की दर से भुगतान करने का निर्णय मुख्यमंत्री ने लिया है। और इसके लिए मुख्यमंत्री को संवेदनशील बताने इसका ढिंढोरा पीटा जा रहा है।  जबकि सच्चाई ये है कि प्रति मानक बोरा 3347.00 रूपये कम भुगतान कर संग्राहकों के खून पसीने की कमाई की 57 प्रतिशत राशि हड़प ली है।

सरकार के मिले 994 करोड़, संग्राहकों को मिले केवल 425 करोड़

पूर्व मंत्री ने आंकड़ों सहित जानकारी देते हुये बताया कि 2018 सीजन में 17 लाख मानक बोरा के विक्रय का कुल मूल्य 994 करोड़ रूपये है।  रमन सरकार तेन्दूपत्ता तोड़ने वाले गरीब आदिवासियों व वनवासियों  को केवल 425 करोड़ रूपये भुगतान करेगी।  इस तरह रमन सरकार गैरकानूनी तरीके से 569 करोड़ रूपये हड़प कर तेन्दूपत्ता तोड़ाई करने वाले गरीबों का हक मार रही है।

गरीबों के शोषण का बड़ा मामला

मोहम्मद अकबर ने कहा राज्य में सूखे की स्थिति से 12 लाख तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवार भी प्रभावित हैं, प्रदेश से रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में पलायन हो रहा है।  ऐसी स्थिति में रमन सरकार द्वारा वनवासियों के कानूनी हक का 569 करोड़ रूपये  के भुगतान से उन्हें वंचित करना किसी राज्य सरकार द्वारा किया जाने वाला गरीबों का सबसे बड़ा शोषण है ।

2017 के तेन्दूपत्ता की राशि भी हड़पी

पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि सीजन 2017 के तेन्दूपत्ता विक्रय से प्राप्त 1368 करोड़ रूपये की राशि में से केवल 308 करोड़ रूपये का भुगतान तेन्दूपत्ता तोड़ने वाले गरीब संग्राहकों को किया गया ।  गैरकानूनी तरीके से रोककर रखी गई 1060 करोड़ रूपये की राशि और उस पर अर्जित ब्याज का भुगतान दस माह पश्चात् भी संग्राहकों को नहीं किया गया।

तेन्दूपत्ता से आय का संग्राहकों को संपूर्ण भुगतान अनिवार्य

मोहम्मद अकबर ने जानकारी दी कि डॉ मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहने के दौरान अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी अधिनियम, 2006 लागू किया गया था।  इस अधिनियम की धारा 3 के अनुसार आदिवासियों और वन निवासियों का तेन्दुपत्ता पर सम्पूर्ण वन अधिकार है। इससे होने वाली आय का शत प्रतिशत भुगतान तेन्दूपत्ता संग्राहकों को किया जाना अनिवार्य है।  इसका एक पैसा भी इधर उधर खर्च करने या रोकने का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है । मो. अकबर ने कांग्रेस की ओर से 5847 रुपये प्रति बोरा की दर से भुगतान करने की मांग की है ।