आकिब खान, हटा (दमोह)। मध्यप्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन दमोह जिले के हटा विकासखंड में शिक्षा व्यवस्था कि बदहाली और शिक्षकों की मनमर्जी की तस्वीरें सामने आई है। जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे कि शिक्षा का सत्यानाश किसे कहते है।
दरअसल, शिक्षा का स्तर बद से बदर होता जा रहा है, लेकिन स्कूलों में पदस्थ शिक्षक अपनी मनमर्जी से स्कूल आते-जाते हैं और स्तर सुधारने का कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं। मंगलवार को जब हटा ब्लाक के रजपुरा संकुल और मडियादो संकुल के स्कूलों में जाकर देखा तो स्कूलों की हालात बहुत ही दयनीय थी। यहां पर दोपहर 11.30 तक एक भी स्कूल खुले नहीं मिले। सबसे पहले घोघरा प्राथमिक शाला 10.48 बजे तक नहीं खुला।
इसके बाद मजरा प्राथमिक शाला 11.00 तक बंद था। एकीकृत माध्यमिक कारीवरा 11.15 और धूरखेड़ा प्राथमिक शाला 11.25 तक नहीं खुला। गांव के छोटे-छोटे बच्चे स्कूल के बाहर खड़े रहकर काफी इंतजार करने के बाद अपने-अपने घर लौट गए। ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश स्कूलों की यही स्थिति देखने को मिली। वहीं जिम्मेदार अधिकारी इन स्कूलों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
बच्चों ने बताया कि यहां पर शिक्षक मनमर्जी से आते हैं और कभी स्कूल खुलता है कभी बंद रहता है। वनांचल में बच्चों की पढ़ाई का स्तर बहुत खराब है। मौके पर एक भी नियमित शिक्षक स्कूलों में नहीं मिले। यहां पर सभी स्कूल अतिथियों के भरोसे है। वहीं जब इस संबंध में बीआरसी टीआर कारपेंटर से बात की तो उन्होंने अपना रटा-रटाया जवाब दिया। उन्होंने कहा कि आपने अवगत कराया है, सभी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाएगा।
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