रायपुर। कैंपियन स्कूल के अंदर 7 साल की मासूम के साथ दुष्कर्म की घटना से पुलिस ने इंकार किया है. इधर बच्ची के पिता का वायरल हो रहा आडियो पुलिस की कार्यशैली के साथ ही कई एजेंसियों पर सवालिया निशान लगा रहा है. वहींं बच्ची के परिजन निराश होने के साथ ही अपनी नाउम्मीदी भी जाहिर कर चुके हैं. उधर बच्ची का एक के बाद एक 3 बार अस्पताल में एमएलसी कराया गया. लेकिन 3 बार एमएलसी कराने की जरुरत पुलिस को क्यों पड़ी इसकी वजह पुलिस द्वारा सार्वजनिक भी नहीं की गई है. स्कूल द्वारा बच्ची का अंडर गारमेंट जला दिया जाता है, जलाने के पीछे की वजह स्कूल द्वारा गारमेंट को गंदा किया जाना बताया गया. शायद उस गारमेंट को ऐसे ही फेंका जा सकता था या फिर किसी कागज या पॉलीथीन में डालकर उसे बच्ची के बैग में रखकर उसे घर भी भेजा जा सकता था लेकिन स्कूल प्रबंधन द्वारा ऐसा कुछ भी नहीं किया गया. उधर पुलिस का कहना है कि बच्ची ने जिस शौचालय में इस घटना का जिक्र किया है और जिस सीनियर छात्र के द्वारा अंजाम दिए जाने की बात कही गई है. उस शौचालय की सीसीटीवी फुटेज में वह लड़का कहीं भी नजर नहीं आ रहा है. बताया जा रहा है कि बच्ची जब घर गई तो उसके कपड़े खून से भींग चुके थे. जिसे पुलिस लैब में जांच कराने की बात कह रही है.
आखिर इस मामले में इतनी सारी असमानताएं क्यों हैं?
आखिर सच क्या है बच्ची ने सीनियर छात्र द्वारा घटना को अंजाम दिया जाना क्यों बताया? पुलिस को सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में उस छात्र के नहीं दिखने और एमएलसी रिपोर्ट में दुष्कर्म या उसके प्रयास जैसी किसी भी घटना से इंकार के बाद भी पुलिस जांच की बात कह रही है आखिर क्यों? जब बच्ची के साथ कोई घटना ही नहीं घटी फिर पुलिस उसके खून से सने कपड़ों को जांच के लिए लैब क्यों भेज रही है? बच्ची के साथ अगर ऐसी घटना नहीं घटी है तो उसने अपने सीनियर छात्र पहचान क्यों की? बच्ची के परिजन क्यों कह रहे हैं कि बच्ची के साथ घटना हुई है? वे क्यों बच्ची को लेकर पुलिस थाना के अलावा सारी जांच समितियों और एजेंसियों के सामने बच्ची को सवाल-जवाबों का सामना करा रहे हैं? सवाल और भी कई हैं. जिनका जवाब ढूंढा जाना भी जरुरी है.
इसकी वजह कहीं यह तो नहीं कि कठुआ सहित देश के अलग-अलग राज्यों शहरों से भी लगातार अमूमन इसी तरह की घटनाएं सामने आ रही थी. इन घटनाओं को लेकर देश-प्रदेश, शहर-दर-शहर लोगों में जमकर आक्रोश देखा गया. लोगों ने जगह-जगह इन घटनाओं को लेकर विरोध प्रदर्शन किया बल्कि अभी भी कर ही रहे हैं. विदेशों में भी इन घटनाओं को लेकर सरकार की काफी आलोचना हुई. ऐसी घटनाएं किसी भी सरकार के लिए किसी भी रुप में अच्छी नहीं मानी जाती खास तौर से वैसी परिस्थितियों में जब उस राज्य में छः महीने बाद चुनाव होना हो. ऐसे में सवाल यही उठता है कि क्या वास्तव में घटना ही नहीं हुई है या फिर पुलिस किसी दबाव में है?