Natural Farming Medicinal Plant In Chhattisgarh: देश भर के कई किसान धीरे-धीरे पारंपरिक खेती में खाद और कीटनाशकों के बजाय प्राकृतिक या जैविक खेती (Organic Farming) की ओर बढ़ रहे हैं. खेती की लागत कम कर अच्छी उपज लेने के लिए किसान कई तरीके आजमा रहे हैं. छत्तीसगढ़ के एक युवा किसान किशोर राजपूत (Kishore Rajput) ने कई साल पहले जैविक खेती (Organic Farming) शुरू की थी. गाय के गोबर और पशु आधारित खेती से जड़ी-बूटियों और औषधीय फसलों की खेती (Medicinal Crops Farming) के बाद किशोर राजपूत पूरे देश में प्रसिद्ध हो गए हैं.

जीरो बजट खेती (Zero Budget Farming) का किशोर राजपूत का नुस्खा इतना लोकप्रिय हो गया है कि इसे सीखने के लिए दूर-दूर से किसान छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के नवागढ़ पहुंच रहे हैं. किशोर राजपूत के पिता खेती करते थे. पिता को खेतों में काम करते देख उसकी हिम्मत बढ़ गई. स्कूल जाते समय सड़क की हरियाली, खेत में पौधे, पशुओं का दूध और पशु-पक्षियों की दीवानगी ने किशोर को खेती करने के लिए प्रेरित किया. Read More – अनंग त्रयोदशी पूजन से दाम्पत्य में प्रेम की होती है वृद्धि, जानिए इस पूजा की विधि …

इसके बाद उन्होंने जड़ी-बूटियों को देखना और समझना शुरू किया. अपनी 12वीं कक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने आयुर्वेदिक औषधालय चलाने के लिए औषधीय फसलों की खेती पर ध्यान केंद्रित किया. सर्पगंधा की खेती कर किशोर राजपूत 1 साल में 4 लाख से ज्यादा कमा रहे हैं. सर्पगंधा की फसल 18 माह में तैयार हो जाती है. सर्पगंधा का फल, तना, जड़ आदि सभी का उपयोग होता है.

इसके साथ ही किशोर ने कई औषधीय फसलों की खेती की है. अश्वगंधा की खेती से किशोर एक साल में करीब 1 लाख कमा रहे हैं. किशोर बाजार में मांग के अनुसार फसलों का चयन करते हैं और उनकी खेती करते हैं. खेत में फसल उगाने के लिए गोबर, गोमूत्र आदि का प्रयोग किया जाता है. किशोर राजपूत अपने आसपास के लोगों को मुफ्त औषधीय पौधे बांटते हैं. इसके बारे में जागरूकता फैलाकर लोगों को औषधीय पौधों की खेती शुरू करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है. Read More – World Most Expensive Potato : 50 हजार रुपए किलो बिकता है ये आलू, जानिए क्या है इसमें ऐसा खास …

किशोर राजपूत ने अपने खेत की मेड़ पर सतावर, काउच बीज, सर्पगंधा लगाया. इसका मकसद यह था कि खाली जगहों से भी कुछ पैसे कमाए जा सकें. इसके बाद वर्षा के दिनों में अपने आप उगने वाली वनस्पतियों का निक्षेपण हो गया. इसके साथ ही किशोर ने आंवला, भृंगराज, सरपंख, नगर मोथा की ओर भी रुख किया.

कुछ दिनों बाद किशोर ने धान में अश्वगंधा, बाख और ब्राह्मी के साथ सरसों, गन्ने के साथ मंडूकपर्णी, तुलसी, लेमनग्रास, मोरिंगा, चना, खस, चिया, क्विनोआ, गेहूं, मेंथा आदि की खेती शुरू की. सही उपज न मिलने के कारण घाटा हो रहा था, लेकिन बाद में स्थिति बदली और किशोर अच्छी कमाई करने लगे.