मोसीम तड़वी, बुरहानपुर। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर के ग्राम बंभाड़ा में रहने वाले मशहूर शिक्षक प्रल्हादराव पाटिल उर्फ अप्पाजी का 88 साल की उम्र मे निधन हो गया है। अप्पाजी पाटिल ने अपने निवास पर ही अंतिम सांस ली। शिक्षक प्रल्हादराव पाटिल उर्फ अप्पाजी के निधन पर सभी शिक्षकों ने शोक जाहिर किया है। जिले के जाने-माने शिक्षक प्रल्हादराव पाटिल किसी परिचय के मोहताज नहीं थे। शिक्षका के क्षेत्र में उनका योगदान अतुलनीय था।
प्रल्हादराव पाटिल का जन्म 4 जुलाई 1934 को छोटे से ग्राम बंभाड़ा में हुआ था। प्रल्हादराव पाटिल ने 1954 में अंमबाड़ा ग्राम में शिक्षक के तौर पर बच्चों को पढ़ाते हुये अपने जीवन की शुरुआत की थी। वे अपने गांव बंभाड़ा से 34 किलोमीटर तक का पैदल सफर कर ग्राम अंमबाड़ा में बच्चों को पढ़ाने जाते थे। उन्होने बच्चों और यहां तक कि उनके घर आने वाली तीनों बहुओं को भी शिक्षक बनाया।
अप्पाजी के परिवार में बड़ा बेटा अमर पाटिल शिक्षक है। साथ ही बड़ी बहू ज्योति पाटिल भी शिक्षक है। छोटा बेटा रविकिरण पेशे से डॉक्टर है, लेकिन इनकी पत्नी वैशाली पाटिल भी बंभाड़ा ग्राम के शासकीय स्कूल में प्राचार्य है। तीसरा बेटा हेमंत पाटिल मेडिकल संचालक है, जो अपने गांव में सेवा दे रहे है और पत्नी साधना पाटिल भी अतिथि शिक्षक है।
अप्पाजी ने 1954 से शिक्षक के तौर पर बच्चों को पढ़ाया और 1994 में प्रधान पाठक पद से सेवा निवृत हुए। तब से लेकर मरते दम तक अप्पाजी समाज सुधार कार्य करते रहे। इनके जाने के बाद अब समाज जन अप्पाजी के दिये हुए मार्गदर्शन में कार्य करेंगे। विजय पथ पर अग्रसर रहे, अप्पाजी जाते जाते एक ही संदेश दे गए कि समाज मिलकर एक जुट रहे।
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