
रायपुर। भारत गन्ना उत्पादन के मामले में विश्व में दूसरे नंबर पर आता है. देश में गन्ने से चीनी के अलावा गुड़ बनाने का कार्य उत्तर से दक्षिण तक सभी राज्यों में किया जाता है. सर्दियों में जगह-जगह खेतों में तैयार होने वाले गुड़ की महक और मिठास जुबां तक पहुंच जाती है. देश के नक्शे में हमारे छत्तीसगढ़ का कबीरधाम जिला भी अलग से नजर आता है…
कवर्धा जिले में गिनती के दो शक्कर कारखाना हैं, और 423 गुड़ फैक्ट्रियां. कृषि विभाग के अधिकारी एसके वर्मा बताते हैं कि जिले में साल दर साल गन्ने के रकबे में इजाफा हो रहा है. यहां गन्ने की कई किस्म लगाई जाती है, लेकिन ‘रसगुल्ला’ किस्म की डिमांड अधिक रहती है. इसकी वजह यह है कि इस किस्म के गन्ने में रस ज्यादा निकलता है, और इसके गुड़ का रंग भी साफ होता है.
शीरा तैयार कर भेजते हैं दूसरे प्रदेशों को
जिला उद्योग विभाग के अनुसार, जिले में करीब 423 गुड़ फैक्ट्रियां हैं. इन फैक्ट्रियों में गुड़ बनाने के लिए बाकायदा लाइसेंस लिया गया है. लेकिन अधिकतर सभी गुड़ फैक्ट्रियों में केवल तरल रूप में शीरा तैयार करते हैं. इस शीरा को टीन के डिब्बों में भरकर अन्य राज्यों तक सप्लाई किया जाता है. यह शीरा अन्य राज्यों में शराब निर्माण के लिए उपयोग होता है. यहां से झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिसा आदि में सप्लाई ज्यादा होती है.
2.15 करोड़ क्विंटल उत्पादन
कवर्धा जिला कृषि प्रधान जिला माना जाता है. कवर्धा के किसानों को गन्ने की फसल लेने में अधिक लाभ नजर आता है. साथ ही सरकार की फसल परिवर्तन वाली स्कीम भी ज्यादा असर कारक माना जा रहा है. इससे पहले यहां सोयाबीन, धान की फसल बहुतायात में ली जाती रही है, लेकिन जब से यहां दो शक्कर कारखना खुला है. गन्ने का उत्पादन बढ़कर 2 करोड़ क्विंटल के अधिक हो गया है. 2022-23 में 31 हेक्टयर क्षेत्रफल में गन्ने की फसल लगाई.
छत्तीसगढ़ में बढ़ा गन्ने का उत्पादन
छत्तीसगढ़ में गन्ने का उत्पादन साल 2019 में रकबा 19 हजार हेक्टेयर था, जो साल 2021-22 में बढ़कर 22 हजार हेक्यटेयर हो गया है. इस वर्ष 2022-2& में करीब 8 हजार हेक्टेयर गन्ने का रकबा और बढ़ सकता है. धान की जगह गन्ने की फसल लेने वाले किसानों का मानना है कि धान की फसल में अधिक मेहनत, देखरेख व लागत ज्यादा है. जबकि इसकी तुलना में गन्ने में लागत मूल्य काफी कम है. साथ ही धान की तुलना में आमदनी ज्यादा है.